आशु भटनागर । राजनीति में कब गुरु गुड़ रह जाए और चेला शक्कर हो जाए, यह कहा नहीं जा सकता । कभी देहात मोर्चा में राजकुमार भाटी, मास्टर मौजीराम, बाबू सिंह आर्य जैसे धुरंधरों के सामने एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर सक्रिय रहे सुशील प्रधान (नागर) अब 30 साल के बाद अपने ही गुरु राजकुमार भाटी को गौतम बुध नगर में आजाद समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष के तौर पर सीधे चुनौती देने के लिए तैयार दिख रहे हैं। कचैडा गांव से संबंध रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार आकाश नागर के अनुसार आजाद समाज पार्टी के साथ जिला अध्यक्ष बनने के बाद सुशील नागर न्याय की एक नई लड़ाई लिखने को तैयार है ।
स्थानीय पत्रकार आकाश नागर के सोशल मीडिया पर लिखे पोस्ट के अनुसार कभी अंधेरा महादीप कहे जाने वाले गांव कचैड़ा वारसाबाद निवासी सुशील नागर वर्ष 1999 से 2002 तक वेदपुरा में आईटीआई के अध्यापक रह चुके हैं। इस दौरान वह गांव में ही एक एसटीडी बूथ भी चलाया करते थे। तब एसटीडी बूथ पर फोन करने आने वाले लोग उनके सामने अपनी दुख भरी दास्तां भी बयां करते थे। ऐसे में उनका मन पिघला और वे अध्यापक की नौकरी छोड़ समाजसेवा के मैदान में कूद पड़े।
नागर ने तब देहात मोर्चा की सदस्यता ग्रहण कर अपनी आवाज को बुलंद करना शुरू किया। किसी भी कंपनी में स्थानीय युवकों को रोजगार की लड़ाई में अक्सर सुशील नागर सबसे आगे रहा करते थे। तब मोजर बेयर के साथ ही समतल और अन्य कंपनियों पर धरना प्रदर्शन कर आसपास के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने में सुशील नागर का अहम योगदान रहा।
चाहे सपा सरकार में बझेड़ा का रिलायंस प्रोजेक्ट हो या मायावती सरकार में बादलपुर की जमीनों का जबरन अधिग्रहण हो या फिर भाजपा के कार्यकाल में कचैडा और आसपास के 18 गांवों की वेव सिटी बिल्डर से लड़ाई सुशील नागर की सक्रियता बढ़ती गई। वह आज भी किसानों के मुद्दों पर मोर्चा संभाले हुए हैं।
सुशील नागर का उदय गुरु राजकुमार भाटी के लिए बनेगा सत्ता संघर्ष!
वही इस नए डेवलपमेंट के बाद गौतम बुध नगर की राजनीति को जानने वाले लोगों का कहना है कि अब जिले में सत्ता संघर्ष में गुरु और शिष्य आमने-सामने होंगे। चंद्रशेखर आजाद ने सुशील नागर को आसपा का अध्यक्ष बनाकर समाजवादी पार्टी के सामने बड़ा दांव चल दिया है। अभी तक गुर्जरों की एकता के नाम पर समाजवादी पार्टी और राजकुमार भाटी यहां पर लाभ लेते रहे हैं। किंतु उनके देहात मोर्चा में सक्रिय सदस्य रहे सुशील नगर के आसपा से जिला अध्यक्ष बनने के बाद गुर्जर एकता की नई आवाज राजकुमार भाटी की जगह सुशील नागर बन सकते हैं। ऐसे में 2027 के चुनाव से पहले सुशील नागर को लेकर राजकुमार भाटी की राजनीति बैक फुट पर जा सकती है।
गौतम बुध नगर में गुर्जर राजनीति के विशेषज्ञों की माने तो जिले में गुर्जर राजनीति नागर और भाटी दो गोत्रों के बीच संघर्ष भी पैदा करती है ऐसे में जिस देहात मोर्चा के नाम से राजकुमार भाटी ने यहाँ अपनी राजनैतिक ज़मीन मजबूत की, जिस देहात मोर्चा के नाम पर वो गुर्जरो के नेता बन्ने में सफल हुए, अब उसी देहात मोर्चा से सुशील नागर उनके लिए चुनोती बन सकते है ।
लोगो की माने तो 2027 के चुनाव में दादरी विधान सभा में राजकुमार भाटी के सामने अपने ही प्रतिरूप से लड़ना मुश्किल हो सकता है वहीं इस बात को लेकर जयादा हवा मिली तो समाजवादी पार्टी में टिकट मांग रहे सुधीर भाटी को उनके स्थान पर टिकट दिया जा सकता है । बहराल सुशील नागर के उदय से चंद्रशेखर आज़ाद का ये दांव जिले की राजनीति में और क्या क्या उठा पटक करवाने वाला है ये आने वाले दिनों में और स्पस्ट होता जाएगा।