आशु भटनागर I प्रदेश के किसी भी जिले में मुख्यमंत्री आ रहे हो और वहां विपक्ष जनता के मुद्दों को लेकर ज्ञापन देने तक की स्थिति में ना हो तो इसे जनता ही नही लोकतंत्र का भी दुर्भाग्य ही कहा जाएगा । गौतम बुध नगर जिले में जनता और लोकतंत्र दोनों ही इस दुर्भाग्य को झेल रहे हैं ।
लोकतंत्र में जनता जब सत्ता के नेताओं से समस्याओं का समाधान न पा रही हो तो उसे विपक्ष का सहारा होता है किंतु इस जिले में विपक्ष लापता है। कहने को यहां समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस जैसे कई दलों के नेता हैं किंतु लोगों के आरोप है कि यह नेता सिर्फ अपने अपने बिजनेस को बचाने में लगे रहते हैं, तो कई लोगों का तो यहां तक दावा है कि जिले में विपक्ष के नेता ही नहीं है उनमें से कई भू माफिया , खनन पानी माफिया, पानी माफिया के काम में लगे हैं ऐसे में सरकार के कानूनी सख्ती से डरे रहते हैं कि कहीं जनता की आवाज उठाते ही उन पर गैंगस्टर ना लग जाए। बीते दिनों एक इनामी गैंगस्टर को पकडे जाने के दौरान उसके विपक्ष के नेता के भाई होने की बहुत चर्चा थी I
प्रकरण जो भी हो फिलहाल जनता के मुद्दों पर संघर्ष के लिए विपक्ष गायब है विपक्ष कई नेता अक्सर जिले में होने वाले छोटे-छोटे किसानों के प्रोटेस्ट में शक्ल दिखाकर अपने पाप धोने की कोशिश करते दिखाई जरूर देते हैं किंतु जब जिले में मुख्यमंत्री का 2 दिवसीय आगमन हो तब भी विपक्ष के नेता कार्यक्रम स्थलों पर जाकर विरोध करना ज्ञापन देने तो दूर की बात सोशल मीडिया पर भी यहां की समस्याओं को लिखने की हिम्मत ना कर सकें तो आप इस जिले की जनता का दुर्भाग्य समझ सकते हैं ।
ऐसा नहीं है कि विपक्ष में यहां नेताओं की कमी है या उनको कोई पूछता नही है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों में ही विराजमान नेताओं को उनकी पार्टी में प्रदेश और देश में मान सम्मान प्राप्त है। किंतु नेताओं को मिला यही सम्मान अब इनको स्थानीय मुद्दों पर बात करने से रोक देता है प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर बात करते-करते यह भूल गए हैं कि उनके अपने गृह जनपद के लोगों की भी कुछ समस्याएं हैं।
जिले के मुख्य विपक्ष के एक विधानसभा से तीन बार चुनाव लड़ चुके बड़े नेता ने स्थानीय मुद्दों पर प्रश्न पूछने के दौरान बेहद गंभीरता से जवाब देते हुए कहा कि उनसे राष्ट्रीय मुद्दों या फिर पार्टी के नीतिगत मामलों पर ही प्रश्न पूछा करें अब ऐसे में जब यहां के सभी नेता इंटरनेशनल हो चुके हैं तो जनता किससे अपनी समस्याओं का समाधान खोजें। लोगो का दावा है कि विपक्ष की सभी बड़ी पार्टियों को या तो इन सभी बड़े नेताओं को लखनऊ, दिल्ली बुलाकर कार्य देना चाहिए या फिर उनके राष्ट्रीय दायित्वों को समाप्त करके संगठन को स्थानीय स्तर पर मजबूत करने का कार्यभार सौपना चाहिए ।
जनता के सामने विकल्पहीनता इस हद तक है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट जैसे शहरों में अब नेताओं की जगह सामाजिक संगठनों के नेतागिरी फल-फुल रही है और इनमें से अधिकांश नेता भाजपा के साथ एसोसिएट है । ऐसे में जनता यहां आकर भी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसी तरीके के प्रोटेस्ट के प्रदर्शन का मौका खो देती है और जिले में मुख्यमंत्री के आगमन के समय भी विपक्ष जनता के मुद्दों को उठाने में विफल रहता है।
वह तो भगवान ही थोड़े मेहरबान हैं इसलिए मुख्यमंत्री के आगमन के समय भारी बारिश से वह स्वयं जाम से जूझ रही जनता के समान 10 मिनट के लिए जाम में फंस जाते हैं। जिले में हो रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के अफ़ग़ानिस्तान बनाम न्यूजीलैंड के मैच के चलते यहां के भ्रष्ट अधिकारियों की कलई खुल जाती है और भाजपा के ही कार्यकर्ता यहां के अधिकारियों की शिकायतें करते हैं तो उन्हें चीजों का पता चल जाता है वरना विपक्ष के भरोसे बैठी जनता इस जिले में तो कम से कम कोई राहत पाने का मार्ग नहीं देखती है