ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में काम न करने वाले कर्मचारियों पर प्राधिकरण के सीईओ सख्त होते जा रहे हैं बीते 5 दिनों से सोशल मीडिया और मीडिया में हल्द्वानी मोड़ पर पानी भरने और गड्ढे होने के कारण ट्रैफिक की समस्या पर लगातार मचे बवाल के बाद आज एसीईओ ने एक्शन लेते हुए 6 फील्ड स्टाफ और तकनीकी सुपरवाइजर और सुपरवाइजरो को चयनित एजेंसी को वापस भेजने के आदेश जारी कर दिया ।
आपको बता दें कि सोशल मीडिया में मचे हंगामा के बाद एनसीआर खबर ने भी इस पूरे प्रकरण पर समाचार को प्रमुखता से छापा था और लिखा था कि इस रोड पर गढ्ढों के कारण लोगों का चलना मुश्किल हो गया है । नवंबर माह में चल रहे यातायात जागरूकता माह में जब सड़के ही सही नहीं है तो लोगों को जागरूक किस लिए किया जा रहा है।
इसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ श्री लक्ष्मी एवं महाप्रबंधक ए के सिंह द्वारा मौके पर निरीक्षण किया और फील्ड स्टाफ एवं तकनीकी सुपरवाइजर नीरज बंसल, धीरज सिंह, सुपरवाइजर सुरेश, बलराज, फूल मियां, तफ्फरुख अली को दोषी पाते हुए इनके द्वारा सम्बन्धित चयन एजेंसी को तत्काल प्रभाव से वापस कर दिया गया । जांच में माना गया कि इन कर्मचारियों ने अपने सीनियर मैनेजर और अन्य अधिकारियों के आदेशों का के पालन में शिथिलता और घोर लापरवाही बरती जिसके कारण उसे सड़क पर पानी भरने की स्थिति निर्मित हुई ।
इसके अलावा इसी मामले में प्रभारी वरिष्ठ प्रबंधक नरोत्तम सिंह प्रबंधक नीतीश कुमार एवं सहायक प्रबंधक मनोज कुमार का नवंबर माह का वेतन रोका गया है
वही इस पूरे प्रकरण में निकल गए कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया पर अपने साथ हुए इस कृत्य को अन्याय बताते हुए दावा किया कि शीर्ष अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए उनको बलि का बकरा बना दिया है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के निचले स्टाफ की भर्ती में सिफारिशों की बड़ी भूमिका, स्थानीय राजनेताओं, किसान नेताओं के साथ मिलीभगत से बनाते रहते हैं दबाव
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बीते 10 से 12 सालों में निचले स्टाफ की भर्ती में स्थानीय नेताओं, तत्कालीन सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है । यहां उनकी सिफारिश पर बड़ी संख्या में अयोग्य लोगों की भर्ती कर दी गई है । वर्तमान में सत्ता पक्ष के नेताओं की शह पाकर ऐसे कर्मचारी अक्सर काम करने में शिथिलता और लापरवाही बरतते है ।
बीते दिनों कई बार ऐसा भी हुआ जब ग्रुप 4 के इन कर्मचारियों के समर्थन में स्थानीय कई किसान नेताओं की संस्थाओं ने हड़तालों में भाग लेना शुरू कर दिया जिसके कारण प्राधिकरण की कार्यशैली और लोगों को मिलने वाली सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।
प्राधिकरण के सूत्रों की माने तो सीईओ एसीईओ और वरिष्ठ प्रबंधकों पर दबाव बनाने के लिए यह लोग अक्सर ऐसे नेताओं और एक्टिविस्टो के जरिए ट्विटर पर ट्रेंड चलवा कर अपनी नौकरी बचाए रखने में लगे रहते हैं।
ग्रेटर नोएडा के कई समाजसेवियों का दावा है कि सिफारिश से आए इन्हीं कर्मचारियों की मिलीभगत अक्सर प्राधिकरण की अधिसूचित क्षेत्र की जमीनों पर अवैध कब्जे होते रहते हैं। कई लोग अपने उच्च अधिकारियों को सही सूचनाओं सही समय पर देने में लापरवाही भी करते हैं ।
ऐसे में पहली बार इस तरीके के सही एवं त्वरित निर्णय से जहां एक बार फिर से ऐसे कर्मचारियों में कार्य को सही ढंग से करने का नैतिक दबाव बन सकता है, जिससे प्राधिकरण की खराब छवि को सुधार जा सकता है ।