उत्तर प्रदेश में नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरणों द्वारा बिल्डर बार एग्रीमेंट को 10% अमाउंट देते ही रजिस्टर्ड करने के फैसले के खिलाफ अब बिल्डर की संस्था की लड़ाई स्वयं उतर गई है । मीडिया में आए एक क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौड़ ने इसको गलत बताते हुए कहा कि इससे खरीदारों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा खरीदारों को पहले ही बुकिंग के समय बड़ी रकम का इंतजाम करना पड़ता है नए नियम में एक प्रतिशत का गैर वापसी योग्य रजिस्ट्रेशन शुल्क भी है जो खरीदारों के लिए सीधा नुकसान है यदि किसी वजह से बुकिंग रद्द करनी पड़े तो रिफंड पॉलिसी साफ न होने से भी खरीदारों को परेशानी होगी ।
इससे पहले नोएडा ग्रेटर नोएडा के कुछ फ्लैट बॉयस संघ के नेताओं ने भी इसे नियम के बाद फ्लैट खरीदादारों पर आर्थिक बोझ बताया था नेताओं का दावा था कि फ्लैट के रेट बहुत बढ़ गए हैं ऐसे में यदि कोई एक करोड़ का फ्लैट खरीदना है तो उसे 10 लाख के बुकिंग अमाउंट के साथ-साथ रजिस्ट्री के लिए भी रुपए का इंतजाम भी करना पड़ेगा ।
वही वर्षों से इस नियम की मांग कर रहे जागो बायर्स जागो के संस्थापक और पूर्व सांसद प्रत्याशी गौतम बुद्ध नगर नरेश नौटियाल ने इस नियम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बिल्डर और भूमाफियाओं द्वारा बायर्स के शोषण पर रोक लगेगी उन्होंने फ्लैट बायर्स एसोसिएशन के कुछ नेताओं द्वारा उठाए जा रहे पैसे के मुद्दे को भी गलत बताते हुए कहा की कोई भी व्यक्ति जब अपने लिए घर खरीदता है तो वह धन की समुचित व्यवस्था करता है इस व्यवस्था के आने के बाद बिल्डरों द्वारा कभी भी बुकिंग कैंसिल कर देने जैसे फ्रॉड पर रोक लगेगी साथ ही उनकी मनमानी को भी रोका जा सकेगा इसके साथ ही बिल्डर बीच में प्रोजेक्ट बंद करके भागने से भी बचेंगे ।
इस पूरे प्रकरण पर रियल एस्टेट एक्सपर्ट शंभू प्रसाद गोयल ने एनसीआर खबर से बताया कि इस नए नियम के आने के बाद मूल बायर्स को कोई नुकसान नहीं है । समस्या रियल एस्टेट में लॉन्चिंग के समय काले धन को लगाकर बिल्डर के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने वाले इन्वेस्टर के साथ है । लंबे समय से रियल एस्टेट में काले धन के इस्तेमाल को रोके जाने की मांग की जाती रही है किंतु ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था । 2016 में नोटबंदी के बाद काफी हद तक इसमें रोक लगी थी किंतु उसके बाद फिर से यह खेल शुरू हो गया । ऐसे में अब नए नियम के बाद बिल्डर लॉबी के लिए इन्वेस्टर जुटाना मुश्किल होगा और मूल बायर्स को फायदा होगा किंतु मूल बायर्स को फ्लैट बेचने से बिल्डर का कोई खास फायदा नहीं होगा।
वही नोएडा के समाजसेवी जोगिंदर सिंह ने इस नियम को बायर्स के हित में बताते हुए कहा कि अगर यह नियम 2010-11 में आ गया होता तो बिल्डरों द्वारा रजिस्ट्री से पहले ही फ्लैट को कई बार बेचने से ट्रांसफर मनी के रूप में कमाई जाने वाले लाखों रुपए पर सरकार को स्टांप ड्यूटी मिलती बीती सरकारों द्वारा जानबूझकर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए इस नियम को रोक रखा गया अब जब इसको लागू कर दिया गया है तो निश्चित तौर पर बिल्डर और उनकी संस्था इसके विरोध में उतरेगी इसकी सबको अपेक्षा ही थी ।
ऐसे में महत्वपूर्ण अब यह है कि क्या कुछ बाहर संगठन और क्रीड़ाई द्वारा प्राधिकरण के इस नए नियम के विरोध में उतरने से योगी सरकार दबाव में आएगी या फिर बायर्स के हित में लिए गए इस फैसले को जारी रखेंगे जाने वाले दिनों में पता लगेगा।