गुजरात में जैन समाज के एक तीर्थस्थल को लेकर 18 साल पहले छपे एक समाचार के आधार पर सोशल मीडिया में हिंदू और जैन समाज के बीच संघर्ष बताकर भाजपा को निशाने पर लेना समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को भारी पड़ गया है ।
सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव के पोस्ट के आते लोगों ने घटनाक्रम की पूरी डिटेल डालते हुए पूछा की 2006 के समाचार को डालकर अखिलेश यादव करना क्या चाह रहे हैं।
वही समाचार के आते ही कुछ लोगों ने तत्कालीन दौर में ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी द्वारा जैन समाज के साथ किसी भी तरीके का अन्य ना हो देने होने देने का समाचार की कटिंग डालकर इस पूरे प्रोपेगेंडा को ध्वस्त कर दिया ।
कई लोगों ने आरोप लगाया की लगातार मस्जिदों के नीचे मंदिर होने के प्रकरणों पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु जैन और उनके पिता हरिशंकर जैन की सक्रियता से अखिलेश यादव की रिसर्च टीम ने इस मुद्दे के जरिए दिशा बदलने की जो कोशिश की वह फिलहाल उनको उल्टी पड़ती दिखाई दे रही है । एक नेता के तौर पर इतना हल्का पोस्ट करने के कारण सोशल मीडिया पर अखिलेश यादव की लगातार आलोचना हो रही है वही लोग उन्हें अवैध मजारों पर कोई बात न करने के लिए भी ट्रोल कर रहे हैं ।
समाचार लिखे जाने तक इस पोस्ट को 26000 से ज्यादा लोग देख चुके थे और डेढ़ सौ से अधिक लोग अखिलेश यादव को पोस्ट के कारण आलोचना कर रहे थे । ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या अखिलेश यादव इस पोस्ट के लिए के जरिए वाकई कोई गंभीर मुद्दा उठाने जा रहे हैं या फिर सोशल मीडिया पर लोगों का लिखा सच कहा जा सकता है ।
देश भर के जैन समाज में इस बात को लेकर बेहद आक्रोश है कि उनके पूजा स्थलों और तीर्थों को कुछ बहुसंख्यक प्रभुत्ववादी लोग लगातार अपने क़ब्ज़े में लेते जा रहे हैं। ऐसे कुप्रयासों से शांतिप्रिय, अहिंसक अल्पसंख्यक जैन समाज में चतुर्दिक असंतोष जन्म ले रहा है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 29, 2024
एक विशेष दल का राजनीतिक… pic.twitter.com/YpD5HceJWh