ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी चौराहे पर जाम की समस्या से फौरन तौर पर भले ही मुक्ति मिल गई हो किंतु यहां पर बनाए जा रहे हैं अंडरपास के लिए नई समस्याएं खड़ी हो गई हैं । प्राधिकरण के सूत्रों की माने तो इस अंडरपास के निर्माण से पहले लगभग 800 पेड़ों को हटाया जाना है इसके लिए वन विभाग से अनुमति मिल गई थी किंतु अब कुछ पर्यावरण विद् पेड़ों को हटाने की तरीके पर प्रश्न उठाते हुए योजना को अटकने में लग गए हैं ।
मीडिया में आई जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा की ही सेंटर सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट संस्था ने पेड़ों को दूसरी जगह प्रत्यारोपित किए जाने की योजना पर एतराज जता दिया है । संस्था का दावा है कि पेड़ों को दूसरी जगह प्रत्यारोपित करने का काम विशेषज्ञ नहीं कर रहे हैं। इसमें इससे 95% पेड़ों के मरने की संभावना है संस्था ने पेड़ों को हटाने के लिए उचित टेंडर न किए जाने का भी दावा किया है उनका दावा है कि एक सिविल ठेकेदार प्रत्यारोपण को अवैज्ञानिक तरीके से कर रहा है।
वही इस प्रकरण पर कुछ लोगों ने संस्था पर आरोप लगाए कि इस तरीके के प्रयासों से संस्था जनहित में बनने वाले अंडरपास में देरी का कारण बन रही है । विकास के कार्यों में पर्यावरणविदों द्वारा अक्सर अटकने के काम कोई नई नहीं है । नर्मदा बचाओ आंदोलन के नाम पर मेघा पाटेकर का नाम इसमें सबसे ऊपर आता है
कई लोगों का कहना हैं इसमें ठेकेदारों से वसूली का भी कारण हो सकता है । ग्रेटर नोएडा वेस्ट में काम कर रहे एक ठेकेदार ने बताया कि यहां पर कई संस्थाओं द्वारा इसी तरीके की पॉलिसी अपनाई जाती रही है जिसमें वह अचानक काम को लेकर तमाम प्रश्न उठने लगते हैं जिससे न सिर्फ काम में विलंब होता है बल्कि उसकी लागत भी बढ़ जाती है ।
ऐसे में पेड़ों को शिफ्ट करने की परियोजना में प्राधिकरण क्या एक्शन लेगा और इसके कारण अंडर पास बनाने के कार्य में और कितना विलंब होगा इसका आकलन इन पेड़ों के हटाए जाने की समस्या के बाद ही पता चलेगा।