राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स हॉस्पिटल कासना) के कार्यवाहक निदेशक डॉ. सौरभ श्रीवास्तव और मेडिकल फैसेलिटीज एचओडीज ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तमाम उपलब्धियों और भविष्य की कार्ययोजनाओं की जानकारी साझा करते हुए 2024 में जिम्स की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया । उन्होंने दावा किया कि 2025 में जिम्स में कैथलेब और ट्रॉमा सेंटर जैसी तमाम सुविधाएं लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान दिन डा रंभा पाठक, डा सतेंद्र, डा मोहित माथुर, डा अनुराग श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे ।
2025 में जिम्स में मिलेंगी कैथलेब और ट्रामा सेंटर जैसी तमाम सुविधाएं
डॉ सौरभ श्रीवास्तव ने जिम्स इंस्टीट्यूट की उपलब्धियां और विस्तार के बारे में बताया उन्होंने कहा किए आर टी सेंटर को सरकार से अनुदान मिल गया है । ये जनवरी से शुरू हो जाएगा । हमारे पास टाइप टू मधुमेह के 2500 से ज्यादा मरीज ही ओर टाइप वन मधुमेह के 90 से ज्यादा फॉलो अप है । साथ ही इंस्टीट्यूट डायबिटीज की फेलोशिप भी चल रहा है जिसमें दूसरा बैच आ चुका है। इसके साथ ही बीते वर्ष के जो 470 बेड को बढ़ा कर इस वर्ष 630 कर दिए है । बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष नवंबर में ही हमने मरीज के आंकड़े को पूरा कर लिया था जो दिसंबर के सभी आंकड़ों को मिलने के बाद पिछले वर्ष के मुकाबले 1000 जायद होगा । मरीज के तीमारदारों के लिए स्थाई रैन बसेरे की भी सुविधा शुरू होगी।
इंस्टिट्यूट में लैब टेस्ट में इंस्टिट्यूट की भागीदारी लाल पैथ लेब के साथ पूछे जाने पर डॉ सौरभ ने कहा कि इंस्टिट्यूट लगातार अपनी लैब विकसित कर रहा है किंतु जब तक वह पूर्णतया आत्मनिर्भर नहीं हो जाते तब तक लाल पैथ लेब के साथ मिलकर मरीज को टेस्ट की सुविधा दी जा रही हैं इसमें भी बाजार के मूल्य से 50% डिस्काउंट उपलब्ध कराया जा रहा है ।
जिम्स में नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट केंद्र शुरू करने के लिए भी अनुदान मिल गया है अगले एक दो महीने में यह भी शुरू हो जाएगा केंद्र में मेडिकल की आपात स्थितियों से निपटा रहे हैं एवं मृत्यु दर कम करने के डॉक्टर नर्सों पैरामेडिकल को प्रशिक्षित किया जाएगा । अस्पताल में 70 वर्षों से इससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के आयुष्मान कार्ड बनाने की सुविधा भी शुरू हो गई है मरीज का डाटा अब ऑनलाइन कर दिया गया है मैरिज लाइन में ना लगे इसके लिए आयुष्मान भारत डिजिटल के तहत पंजीकरण कराया जा रहा है।
इसके साथ ही एचआईवी और किडनी से संबंधित रोगों पर भी इंस्टिट्यूट बेहतर काम कर रहा है। डॉ सौरभ ने कहा कि जिम्स इंस्टिट्यूट वर्तमान में किसी भी निजी अस्पताल की सुविधाओं और ट्रीटमेंट के मुकाबले कम नहीं है हमारे पास अक्सर मरीज उस स्टेज पर भी आते हैं जब निजी अस्पतालों में उनके पास सामर्थ्य खत्म हो जाती है । मरीजो की इस मानसिकता को बदलना बेहद जरूरी है अगर मरीज प्रारंभ से ही जिम्स में आए तो उसका धन भी बचेगा और स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा ।
जिम्स के प्रति बनी धारणा को तोड़ने के प्रकरण पर जिम्स की फेकल्टी ने कहा कि किसी भी अस्पताल में किस तरह का उपचार होता है, इसका अनुमान इससी से लगाया जा सकता है कि यहां के चिकित्सक एवं अन्य स्टाॅफ अपने परिजनों का उपचार यहीं कराते हैं। कई परिजनों की बीमारी का सफल ऑपरेशन भी यहीं हुआ है।
प्रेस कांफ्रेंस के बाद जिम्स में नए निदेशक के चयन पर भी हुई तमाम चर्चाएं
प्रेस कांफ्रेंस के बाद इस बात पर भी चर्चाएं हुई कि क्या कार्यवाहक निदेशक डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव को ही पूर्ण कालिक निदेशक के तौर पर स्थाई कर दिया जाएगा या फिर 1 दिसंबर को जिन 39 लोगों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया था उनमें से किसी एक को चुना जाएगा । आपको बता दें कि इन साक्षात्कार में वर्तमान कार्यवाहक निदेशक डॉ सौरभ श्रीवास्तव, पूर्व निदेशक ब्रिगेडियर डॉ राकेश कुमार गुप्ता, जिम्स की ही एक और पूर्व निदेशक संगीता अनेजा,जिम्स के ही एक प्रोफेसर डॉ आईजेन भट्टाचार्य सहित एम्स दिल्ली के भी कई जाने-माने चिकित्सक व पूर्व निदेशक शामिल हैं।
दरअसल पूर्व निदेशक राकेश कुमार गुप्ता 20 जुलाई 2024 को अपने विस्तार न मिलने पर एक निजी संस्थान को ज्वाइन कर लिए थे जिसके बाद फोरी तौर पर संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव को ही कार्यवाहक निदेशक का कार्यभार शासन द्वारा सौंप दिया गया था तब से वही बतौर कार्यवाहक निदेशक जिम्स को संचालित कर रहे हैं। बीते 6 माह में डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव ने जिम्स की कार्यशैली को न सिर्फ बदला है बल्कि उनके नेतृत्व में जिम्स ने तमाम उपलब्धियां भी हासिल की है और उन्ही उपलब्धियां का जिक्र सोमवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर सौरभ श्रीवास्तव ने किया ।