आशु भटनागर I 14 जनवरी को मकर संक्रांति यानी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही उत्तरायण शुरू हो गया है । इस वर्ष प्रयागराज में 144 वर्ष बाद महाकुंभ का भी आयोजन हो रहा है । उत्तरायण में नूतन गृह प्रवेश, निर्माण, देव प्रतिष्ठा, साधना, सकाम यज्ञ आदि अनुष्ठानों के लिए प्रशस्त कहा गया है। सूर्य की उत्तरायण गति व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जिसके कारण शरीर में सक्रियता आती है।
ऐसे में बीते दो हफ्तों से सुने पड़े यमुना प्राधिकरण के सीईओ के पद को लेकर एक बार फिर से चर्चा आरंभ हो गई है कि क्या इस बार यमुना प्राधिकरण को नए सीईओ की सूचना जल्द प्राप्त होगी या फिर एक बार फिर से बीते 5 वर्षों में छह बार विस्तार पा चुके पीसीएस अधिकारी डॉ अरुण वीर सिंह को सातवी बार विस्तार मिल जाएगा ।
नए अधिकारी की नियुक्ति न होने से प्राधिकरण स्तर पर कई काम अटक गए हैं। सबसे अहम अंतरराष्ट्रीय फिल्म सिटी के मास्टर प्लान को स्वीकृति प्रदान करना हैं, जिसका जनवरी में ही शिलान्यास प्रस्तावित है, लेकिन सीईओ की नियुक्ति न होने से यह कार्य अटका पड़ा है।
दरअसल बीते 15 दिन में यमुना प्राधिकरण के सीईओ को लेकर राजनीतिक दावपेच लखनऊ में खेले जा रहे हैं । जेवर में बन रहे नोएडा एयरपोर्ट के अप्रैल में आरंभ होने दावों के बीच यह माना जा रहा था कि वर्तमान सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह को ही अप्रैल तक एक और विस्तार मिल जाएगा। किंतु जब 31 तारीख को ऐसा कुछ नहीं हुआ तो डॉ अरुणवीर सिंह उसके बाद कार्यालय नहीं आए और उसके बाद लगातार यह माना गया कि जल्द ही उनके नाम की नियुक्ति की घोषणा कर दी जाएगी किंतु दो हफ्ते बीतने के बाद अब लखनऊ में यमुना प्राधिकरण के सीईओ को लेकर चल रही राजनीति पर चर्चाएं बाहर आने लगी हैं । यमुना प्राधिकरण में अब डॉक्टर अरुण वीर सिंह के नए विस्तार को लेकर संशय उत्पन्न हो गया है । इस संशय से जहां बहुत लोग खुश नजर आ रहे हैं तो कुछ लोगों को डॉक्टर अरुणवीर सिंह के हटते ही यमुना प्राधिकरण में बहुत बड़े भूचाल की आहट भी सुनाई देने लगी है ।
एनसीआर खबर को लखनऊ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 7 आईएएस अधिकारी यमुना प्राधिकरण में सीइओ के पद के लिए बीते 25 दिन से लाबिंग में लगे हैं। इन सब में गौतम बुध नगर गाजियाबाद रह चुके और वर्तमान में केंद्र पर प्रतिनियुक्ति पर गए एक बड़े आईएएस अधिकारी का नाम भी चर्चा में खूब आ रहा है । बताया जा रहा है कि दिसंबर 2022 में गए इन अधिकारी को 2 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं ।
प्राधिकरण के कई अधिकारियों का दावा है कि बीते कई सालों से सीईओ अरुणवीर सिंह ने जिस तरीके से समस्याओं की चर्चा मीडिया में आने से रोक रखी थी अब उन सबके खुलने का समय आ गया है। यमुना प्राधिकरण में व्यवस्थित विकास के लिए यह आवश्यक है कि अब उन सभी बातों पर खुलकर चर्चाएं हो । ऐसे में यमुना प्राधिकरण में जो भी नए सीईओ के पद पर आएगा उसके लिए आने वाले 6 महीने सिस्टम में बनाए गए लूप होल्स को खोजने में व्यतीत होगा उसके बाद ही यमुना प्राधिकरण को पटरी पर लाया जा सकेगा ।
दावा किया जा रहा है कि यमुना प्राधिकरण में बीते 5 सालों में अनाउंसमेंट तो बहुत हुए हैं। प्राधिकरण ने प्रोजेक्ट की चर्चाएं भी बहुत करी हैं किंतु जन सुविधाओं को लेकर प्राधिकरण अब तक कोई जमीनी कार्य नहीं कर पाया है । यमुना प्राधिकरण में एक्सप्रेसवे से नीचे उतरते ही असलियत सामने आने लगती है हालत यह है कि किसानों से जमीनी के अधिग्रहण से लेकर उनके पर शहरी नगरी सुविधाओं को विकसित करने की सारी गतिविधियां अभी कागजों तक पर नहीं है इतने बड़े व्यवस्थित शहर में जल, बिजली और वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर सुविधाओं का जमीनी स्तर पर ना होना यमुना प्राधिकरण की दुर्दशा की कहानी स्वयं का देता है । इनके चलते यमुना प्राधिकरण के बिक चुके प्लॉट्स के रेट ४० प्रतिशत तक नीचे आ चुके है I लोग पेनेल्टी के बाबजूद यहाँ आने को तैयार नहीं है I कई टाउनशिप प्रोजेक्ट से बिल्डर हाथ खीच चुके है I चर्चा है कि 11 टाउनशिप में मात्र 3 टाउनशिप ही फिलहाल चल रही है
ऐसे में आज उत्तरायण के बाद यमुना प्राधिकरण को नया सीईओ मिल जाएगा या फिर एक बार फिर पीसीएस अरुण वीर सिंह को ही ७ वी बार विस्तार मिल जायगा इसका परिणाम जल्द दिखाई देगा