नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ और IAS अधिकारी रवि माथुर का ग्रेटर नोएडा के यथार्थ अस्पताल में निधन हो गया है। रवि माथुर नोएडा प्राधिकरण में दो बार तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एक बार CEO के पद पर तैनात रहे थे रवि माथुर लगभग 79 वर्ष के थे।रवि माथुर 30 जुलाई 1993 से 10 जनवरी 1994 तक तथा 5 जुलाई 1997 से 29 अक्टूबर 1997 तक नोएडा प्राधिकरण के CEO के पद पर तैनात रहे थे।
जानकारी के अनुसार रवि माथुर को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यथार्थ हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था जहां शुक्रवार को दोपहर 1:00 बजे उनका निधन हो गया । रवि माथुर की बेटी तापसी माथुर के अनुसार उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार शाम को 5:30 बजे दिल्ली के लोधी रोड स्थित अंतिम संस्कार केंद्र में किया जाएगा।
उनके निधन के समाचार से नोएडा में उनके शुभचिंतकों और साथियों में शोक की लहर दौड़ गई लोगों एनसीआर खबर को याद करते हो बताया कि कैसे रवि माथुर में है नोएडा के लिए तमाम ऐसे काम किये जिनकी सराहना आज भी होती है जो उन्होंने सीइओ रहते नोएडा के किसानों, झुग्गी-बस्ती वासियों, नोएडा के डॉक्टरों तथा व्यापारियों के लिए एक काम करना किए।
वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा
उत्तर प्रदेश में यह राजनीतिक रूप से संक्रमण काल था जब 1993 में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रवि माथुर को नोएडा प्राधिकरण का अध्यक्ष सह मुख्य कार्यपालक अधिकारी नियुक्त किया गया। छः दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहने के साथ भाजपा की कल्याण सरकार भी ढह गई थी। लगभग एक वर्ष तक राज्य में कोई निर्वाचित सरकार नहीं थी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा बतौर राज्यपाल अपने तरीके से उत्तर प्रदेश में शासन कर रहे थे।
संभवतः उस समय के कद्दावर कांग्रेस नेता राजेश पायलट की सिफारिश से रवि माथुर को नोएडा प्राधिकरण का सीसीईओ बनाया गया था। मेरठ विश्वविद्यालय (अब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय) के कुलपति के पुत्र रवि माथुर बहुत विनम्र स्वभाव के साथ साथ स्पष्ट सोच और दृढ़ निर्णय लेने वाले आईएएस अधिकारी थे।उनका आगंतुकों को ऊंची बुलंद आवाज में आइए आइए कहकर स्वागत करना और उनकी बात सुनने के बाद ओके ओके कहकर अपने कक्ष से बाहर जाने के लिए स्वाभाविक रूप से विवश कर देने के अंदाज का मैं न केवल साक्षी रहा हूं बल्कि कायल भी रहा हूं। लगभग साढ़े पांच महीने बाद ही तेज तर्रार आईएएस अधिकारी नीरा यादव ने उनकी जगह ले ली। उन्हें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में इसी पद पर भेज दिया गया।हालांकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तब पालने में आंखें खोल रहा था।तब प्रभार छोड़ने के दिन उन्होंने नोएडा प्राधिकरण के लगभग साढ़े चार सौ कर्मचारियों को उनके वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रकरणों पर हस्ताक्षर कर इतिहास रच दिया था। कुलेसरा में हिंडन नदी पर नया पुल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष रहते उन्होंने ही बनवाया था जो दादरी से ग्रेटर नोएडा होते हुए नोएडा की जीवन रेखा माना जाता था।
रवि माथुर एक बार फिर 5 जुलाई 1997 को नोएडा प्राधिकरण लौटे। इस बार उन्हें केवल मुख्य कार्यपालक अधिकारी बनाकर भेजा गया था। हालांकि दो महीने बाद उन्होंने किसी को कानों-कान खबर हुए बगैर अध्यक्ष पद भी हासिल कर लिया था। इस बार भी उनका कार्यकाल मात्र तीन माह चार दिन रहा। दरअसल पहले कार्यकाल में उन्होंने सेक्टर 32 में बगैर भू-उपयोग बदले आवासीय भूखण्ड योजना जारी कर दी थी।इसे अदालत में चुनौती दी गई। योजना कानूनी पचड़े में फंस गई। रवि माथुर जाने अनजाने में हुए इस पाप को धोने के लिए ही वापस आए थे।
उन्होंने अपने दोनों कार्यकालों में किसी को निराश नहीं किया। उन्होंने नोएडा क्षेत्र को विकसित करने के लिए अनेक योजनाएं बनाईं और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया।ओखला बैराज होकर नोएडा दिल्ली को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क का दोहरीकरण उनके कार्यकाल की स्मरणीय उपलब्धि है। नोएडा प्राधिकरण से ग्रेटर नोएडा स्थानांतरित होने से नाखुश रवि माथुर ने तब एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से फोन पर बात करने से इंकार कर दिया था। यह बात तब चर्चा का विषय बनी थी। अपने इरादों में स्पष्ट, प्रतिभाशाली, मृदुभाषी और मिलनसार ऐसे आईएएस अधिकारी रवि माथुर ने आज 97 बरस की आयु में ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।