राजेश बैरागी । 24 वर्ष पहले आज की तिथि में अस्तित्व में आया यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने आज रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर लिया। अन्य प्राधिकरणों से अलग स्थानीय झंझटों और सूबे की बदलती राजनीति से ठीक दस वर्षों तक प्रभावित रहे इस प्राधिकरण की झोली आज कई अनमोल उपहारों से भरी हुई है जिनमें जेवर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा तो है ही, अंतरराष्ट्रीय ख्याति की औद्योगिक इकाइयां और मेडिकल डिवाइस पार्क तथा आज ही भारत सरकार से गुजरात के साथ मिला इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर भी शामिल हो गया है।हालांकि पहलगाम में हुई घटना के कारण आज यीडा के स्थापना दिवस को मनाने से परहेज़ किया गया।
संभवतः विश्व के सबसे लंबे एकीकृत औद्योगिक क्षेत्र (165 किलोमीटर)को विकसित करने की जिम्मेदारी के साथ जन्म लेने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण यीडा का आज 25 वां जन्मदिवस है।
पिछले 24 वर्षों में इस प्राधिकरण ने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं। पहले ताज के नाम से वजूद में आए इस प्राधिकरण के शुरुआत के पहले दस वर्ष में केवल यमुना एक्सप्रेस-वे ही बन पाया। बदकिस्मती से इस एक्सप्रेस-वे के बनकर तैयार होने के साथ ही उत्तर प्रदेश में मायावती के हाथों से सत्ता चली गई।2012 में मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव ने अज्ञात कारणों से इसे चालू होने से रोक दिया। लगभग दो वर्षों तक यह एक्सप्रेस-वे सूना पड़ा रहा। इस बीच प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी एक मुश्त 21 हजार आवासीय भूखंडों की योजना लाए। योजना सफल रही परंतु प्राधिकरण क्षेत्र को आबाद करने में कोई मदद नहीं मिली। ग्रुप हाउसिंग, संस्थागत, वाणिज्यिक, टाउनशिप आदि प्रोजेक्ट भी लाए गए परंतु अधिकांश प्रोजेक्ट निवेश मात्र ही साबित हुए। अक्टूबर 2015 में प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के तौर पर डॉ अरुणवीर सिंह की नियुक्ति और डेढ़ वर्ष बाद ही उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार आने से इस प्राधिकरण के दिन रातोंरात बहुरने लगे।
मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर 2017 में पहली बार जेवर में हवाई अड्डा बनाने की लिखित में प्रक्रिया शुरू हुई। वर्तमान में हवाई अड्डा, फिल्म सिटी, पतंजलि के अलावा नामचीन औद्योगिक इकाइयों का आगमन और यीडा का आगरा तक विस्तार एक आधुनिक नये यमुना नगर को आकार देने में लगे हैं। बीते दस वर्षों में प्राधिकरण अपने ऊपर लदे कर्ज और मुकदमों से लगभग मुक्त हो चला है।तब प्राधिकरण के विरुद्ध 947 मुकदमे विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन थे और लगभग साढ़े चार हजार करोड़ रुपए कर्ज था। बैंकों ने स्वीकृत ऋण निरस्त कर दिए थे। वर्तमान में प्राधिकरण पर मात्र 117 मुकदमे शेष हैं जबकि नोएडा प्राधिकरण के दो ढाई सौ करोड़ रुपए ऋण बचा है।
इस बीच प्राधिकरण द्वारा 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजे के तौर पर किसानों को 4748 करोड़ रुपए दिए गए हैं जबकि लगभग तेरह हजार एकड़ भूमि अधिग्रहीत अथवा सीधे खरीदी गई है। प्राधिकरण क्षेत्र में आज 25 वें जन्मदिवस पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए का निवेश हो चुका है और आगामी दिनों में इतना ही निवेश होने की संभावना है। नया यमुना नगर कब तक आकार लेगा? इस प्रश्न के उत्तर में डॉ अरुणवीर सिंह कहते हैं -अगले 10 वर्षों में शहर पूरी तरह बस जाएगा।’ उपलब्धियों के साथ प्राधिकरण में कमी कहां है?यह प्राधिकरण नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों की भांति कर्मचारियों और अधिकारियों के अभाव से जूझ रहा है। अंतर प्राधिकरण तबादला नीति का यह प्राधिकरण भी शिकार है। आवश्यकता और स्वीकृत पदों के सापेक्ष स्टाफ न होने से प्राधिकरण के कामकाज पर न केवल बुरा असर पड़ रहा है बल्कि इस कारण प्राधिकरण में तैनात कर्मचारी अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की भी छूट मिली हुई है। पिछली बोर्ड बैठक के एजेंडे में एक अभूतपूर्व प्रस्ताव स्टाफ उपलब्ध कराने के लिए भी था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले 9 वर्षों से मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुणवीर सिंह प्रत्येक बोर्ड बैठक में स्वयं एजेंडा पेश करते हैं।यह उनकी प्राधिकरण की कार्ययोजना के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।