आशु भटनागर। देश की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनी टी-सीरीज (T-Series) ने शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर कई गंभीर आरोप लगाए । कंपनी के प्रतिनिधि विनय कुमार मित्तल ने टी-सीरीज समूह की नमोली स्थित लगभग 180 एकड़ जमीन ओर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा सड़क अधिकरण के लिए कंपनी की स्वीकृति पर भ्रामक प्रचार करने के आरोप लगाए । कंपनी के प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह जनहित में पहले भी सड़क का आधे हिस्से के लिए भूमि दे चुके हैं बाकी के लिए भी वह तैयार है किंतु प्राधिकरण उससे पहले पूर्व में किए गए वादों को पूरा करें और उनकी बाकी जमीन पर एसईजेड बनाकर उन्हें औद्योगिक विस्तार की अनुमति दे । समूह का दावा है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के हालिया बयानों के विपरीत, 40% अविकसित भूमि सौंपने पर प्राधिकरण की हमारी कंपनी से कोई सहमति नहीं बनी है और न ही हमने ऐसी किसी शर्त को माना है। हमने यह बात भूमि अधिग्रहण हेतु गठित विशेषज्ञ समिति के समक्ष भी औपचारिक रूप से रखी है। यदि प्राधिकरण सड़क मे आने वाली जमीन के सापेक्ष में हम लोगो को उसी क्षेत्र में समानान्तर जमीन दिए बिना सड़क बनाने की कोशिश करती है , तो हम लोग उक्त सड़क का उचित कानूनी कार्यवाही के द्वारा रुकवाने के लिए बाध्य होंगे I
भ्रामक न्यूज रिपोर्ट्स के बीच नमोली भूमि पर टी-सीरीज समूह का रुख हुआ स्पष्ट
कम्पनी के प्रवक्ता विनय कुमार मित्तल ने प्रेस वार्ता में कहा कि हम, टी-सीरीज समूह (सुपर कैसेट्स प्राइवेट लिमिटेड) के प्रवक्ता, यह प्रेस वार्ता करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि नमोली गाँव, ग्रेटर नोएडा में स्थित हमारी भूमि को लेकर कई भ्रामक प्रेस विज्ञप्तियाँ और सार्वजनिक बयान विभिन्न अधिकारियों, विशेष रूप से ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) द्वारा जारी किए जा रहे हैं। यह भूमि सूरजपुर-कासना रोड और शारदा अस्पताल व एक्सपो मार्ट रोड के बीच स्थित है और वर्ष 1987 से यानी GNIDA के गठन से पहले ही टी-सीरीज के संस्थापक स्व गुलशन कुमार (Gulshan Kumar) द्वारा शुरू किये गए समूह के स्वामित्व और कब्जे में है । गैर-कृषि, फ्रीहोल्ड प्रकृति की इस भूमि को संस्थापक गुलशन कुमार ने अपनी अधोगिक और टाउनशिप के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से लिया था I इस पर समूह की लगभग 15 फैक्ट्री चल रही थी I डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण के समय समूह ने जन हित में अपनी कुछ भूमि अधिग्रहण में दी जिसका उन्हें पूर्ण मुआवजा भी मिला ।
कम्पनी ने आरोप लगाया कि कुछ वर्ष पहले GNIDA ने हमारी पूर्व सहमति के बिना LG चौक से शारदा यूनिवर्सिटी राउंडअबाउट तक सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया, जब हमने इसका विरोध किया, तो हमें मौखिक तौर पर यह कहकर गुमराह किया गया कि इसके बदले हमें आसपास की समतुल्य भूमि दी जाएगी। लेकिन बाद में GNIDA ने अपने वादे से मुकरते हुए ज़मीन हड़पने की कोशिश की। इसके बावजूद, हमने जनहित और क्षेत्रीय विकास को ध्यान में रखते हुए सड़क निर्माण को नहीं रोका और केवल दूसरी ओर की सड़क पर रोक लगाई।
कम्पनी ने प्राधिकरण द्वारा धारा 4 और धारा 6 के अंतर्गत किये जा रहे अनुचित अधिग्रहण को भी उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा निरस्त करवाया । कम्पनी का आरोप है कि GNIDA ने इस अधूरी सड़क के माध्यम से आसपास की ज़मीनों को ऊँचे दामों पर आवंटित कर व्यावसायिक लाभ कमाया है, जबकि सड़क हमारी ज़मीन पर बनी है। विडंबना यह है कि आज तक GNIDA ने इस ज़मीन के बदले हमें कोई मुआवजा नहीं दिया है।

GNIDA से संपर्क करते रहे, नहीं मिला सहयोग, कम्पनी ने दिए तीन विकल्प
कम्पनी ने आरोप लगाया कि अपनी शेष भूमि पर अधोगिक उपयोग की अनुमति के लिए हम नियमित रूप से लगभग हर महीने GNIDA से संपर्क करते रहे हैं, लेकिन सहयोगात्मक संवाद के बजाय हमें अधिकारियों से दबाव और जबरदस्ती का सामना करना पड़ा है।
कम्पनी का दावा है कि 28 जनवरी 2025 को गौतम बुद्ध नगर में “सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (SIA)” आयोजित जन सुनवाई में एजेंसी के रूप में नियुक्त अधिकारियों के अनुरोध पर में भाग लिया। इस बैठक में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की और से SDM जितेंदर गौतम भी उपस्थित थे I उस बैठक में हमने निम्नलिखित तीन शर्तों को लिखित में रखा, जो हमारी सहमति के लिए आवश्यक हैं:
चयनात्मक अधिग्रहण: GNIDA केवल वही ज़मीन अधिग्रहीत करेगा जो प्रस्तावित सड़क के निर्माण के लिए आवश्यक है (लगभग 4.0848 हेक्टेयर)। सड़क निर्माण के नाम पर लगभग 20 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहण करने का GNIDA का प्रयास अनुचित है।
वैकल्पिक भूमि मुआवजा: सड़क निर्माण हेतु अधिग्रहित भूमि के बदले टी-सीरीज़ को समान आकार की भूमि उसी क्षेत्र में दी जाए।
विस्तार योजनाओं की मंजूरी: GNIDA को हमारे शेष भूमि के मास्टर प्लान को स्वीकृति देनी होगी, जैसा कि MoU संख्या 23/GNIDA/000013051, दिनांक 27 जनवरी 2023 में यूपी सरकार व Invest UP मंच के माध्यम से हस्ताक्षरित हुआ था।
प्रेस वार्ता में कम्पनी के प्रवक्ता ने स्पस्ट किया कि टी-सीरीज समूह बुनियादी ढांचे के विकास के खिलाफ नहीं है। हालांकि, हमारा सहयोग GNIDA से लिखित रूप में उपरोक्त शर्तों की पुष्टि मिलने पर ही संभव है। हमने प्राधिकरण के साथ पूर्व के अनुभव से सीखा है और अब किसी मौखिक वादे पर विश्वास नहीं करेंगे। हम GNIDA से यह भी आग्रह करते हैं कि वे मीडिया में भ्रामक जानकारी न फैलाएं, क्योंकि इससे जनता में भ्रम और अनावश्यक सनसनी उत्पन्न हो रही है। यह विषय पारदर्शिता और परस्पर सम्मान की माँग करता है।
कथित किसानों के दावे को कंपनी ने बताया गलत
नमोली की भूमि पर टी सीरीज समूह की कंपनियों के अलावा कुछ किसानों द्वारा अपना दावा किये जाने के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कंपनी के प्रवक्ता ने दावा किया की कथित तौर पर इन किसानों के दावे में कोई सच्चाई नहीं है । उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 1952 में जमीदारी उन्मूलन कानून लागू होने के बाद 1981 तक सभी भूमि का डॉक्यूमेंटेशन हो गया था । उसके बाद 1987 में स्वर्गीय गुलशन कुमार ने इस भूमि को खरीदा था। ऐसे में कथित तौर पर किसानों द्वारा कुछ उर्दू में लिखें पत्रों के आधार पर अपना दावा किया जाता रहा है कंपनी इस पूरे प्रकरण को लेकर कोर्ट में है और कोर्ट का सम्मान करते हुए इस पर अधिक बोलना उचित नहीं समझती है।
आपको बता दें कि इसी माह 3 अप्रैल को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दावा किया था कि टी-सीरीज के साथ सहमति के बाद 15 साल से अटकी एलजी-शारदा रोड के निर्माण की बाधा दूर हो गई है I प्राधिकरण ने कहा था कि सड़क बनाने के लिए जमीन देने पर टी-सीरीज प्रबंधन राजी हो गया है लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी इस रोड को बनाने के लिए सैद्धांतिक और प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गई । करीब 31 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए टेंडर जल्द ही जारी किए जाएंगे I अब टी सीरीज समूह द्वारा प्रेस वार्ता के बाद एक बार फिर से दोनों ही सड़क निर्माण को लेकर अनिश्चितता बढ़ गयी है I