आशु भटनागर। पहलगांव में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी आक्रमण में धर्म पूछ कर 27 हिन्दुओं की हत्या के बाद भारत पाकिस्तान के लगभग युद्ध में बदलते तनाव के बीच आखिर ‘सीजफायर’ कैसे हुआ? रविवार शाम सेना के तीनों अधिकारियों और DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की प्रेस कॉन्फ्रेंस से ये स्थिति स्पष्ट होती है ।
पहलगाम हमले में हिन्दू पुरुषों की हत्या के बाद उनकी पत्नियों से आतंकियों द्वारा “मोदी को बताना” जैसे संदेश ने पूरे भारत में लोगों में क्रोध की ज्वाला को भड़का दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर बिहार के कार्यक्रम में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत आतंकियों और उनके आकाओं को उनके कल्पना से भी ज्यादा भयावह सजा देगा उनको “मिट्टी में मिला देंगे”
DGMO के अनुसार 6-7 मई 2025 की रात्रि, जब भारत के प्रधानात्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पहली बार पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए तो कोहराम मच गया ।
भारत ने पीओके में पांच और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर, मुरीदके, शकरगढ़ और सियालकोट के निकट चार आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। भारत का दावा था कि ये ठिकाने आतंकी संगठनों के लिए संचालन और प्रशिक्षण केंद्र थे, जो भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे। यह कार्रवाई भारत की ‘आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ की नीति का हिस्सा थी, जिसे उसने बार-बार दोहराया है।
आप सभी अब तक उस क्रूरता और नृशंस तरीके से परिचित हो चुके हैं, जिसमें 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई। पहलगाम के भयावह दृश्यों और परिवारों के दर्द को देखने के बाद निहत्थे नागरिकों पर हाल ही में हुए कई अन्य आतंकवादी हमलों की याद भी आई। सेना जानती थी कि एक राष्ट्र के रूप में हमारे संकल्प को दिखाने और एक दमदार बयान देने का समय आ गया है। ऑपरेशन सिंदूर की अवधारणा आतंक के अपराधियों और साजिश रचने वाले लोगों को दंडित करने और उनके आतंकी ढांचे को नष्ट करने के स्पष्ट सैन्य उद्देश्य के साथ की गई थी। भारत आतंक को नहीं सहने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान ने इसे जानबूझ कर आतंकियों पर आक्रमण की जगह खुद पर आक्रमण समझ लिया और भारत पर सीधा आक्रमण कर दिया । पाकिस्तान की इस सोच ने दक्षिण एशिया में एक बार फिर युद्ध की भूमिका तैयार कर दी । पाकिस्तान ने भारत के हमलों का जवाब ड्रोन और मिसाइल हमलों से दिया, जिसमें पठानकोट और श्रीनगर के वायुसेना अड्डों सहित 26 ठिकानों को निशाना बनाया गया। जिसके बाद 2 दिन तक चले इस सैन्य टकराव में भारत और पाकिस्तान के बीच ड्रोन और मिसाइल तक के हमले किए गए, बॉर्डर पर गोलाबारी शुरू हो गई । पाकिस्तान जहां आक्रामक होकर भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला कर रहा था वहीं भारत आरंभ में संयमित रक्षात्मक प्रतिक्रियाएं देता दिखा । किंतु 9 मई को जब पानी सर से ऊपर गुजरा तो भारत ने पाकिस्तान के सैन्य और हवाई अड्डों पर सटीक हमला किया जिससे पाकिस्तान के हवाई अड्डों के साथ साथ एयरबेस भी नष्ट हुए ।
भारत ने पाकिस्तान के 11 वायुसेना अड्डों को नष्ट कर दिया, जिसमें इस्लामाबाद के निकट रणनीतिक नूर खान बेस भी शामिल था। यह हमला इस टकराव का सबसे संवेदनशील पहलू बन गया। विश्लेषकों का दावा है कि नूर खान बेस पाकिस्तान की परमाणु बम की सुविधाओं के करीब है। और हमले की तीव्रता अधिक होने से यहां परमाणु रेडिएशन का खतरा बन सकता है ।
इस हमले के बहाने जहां एक और पाकिस्तान में डर पैदा कर दिया वहीं इस डर के कारण अमेरिका के मन में चिंता की लहर पैदा कर दी। भारत – पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव का परिणाम साउथ ईस्ट एशिया में परमाणु युद्ध के तौर पर दिखाई देने लगा ।
एयर मार्शल एके भारती ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई ठिकानों पर हमले किए। उन्होंने भारत के सैन्य अभियानों के असर की विस्तृत वीडियो भी दिखाई। जिन ठिकानों पर हमले किए, उनके नाम पर एक नजर:
पसरूर एयर डिफेंस रडार
चुनियन एयर डिफेंस रडार
आरिफवाला एयर डिफेंस रडार
सरगोधा एयरफील्ड
रहमियार खान एयरफील्ड
कलाला एयरफील्ड (नूर खान)
सुक्कुर एयरफील्ड
भोलारी एयरफील्ड
जैकोबाबाद एयरफील्ड
पाकिस्तान लगातार अपनी निष्कृष्ट हरकतों के बावजूद प्रतिक्रिया में भारत के क्रोध और आक्रामकता से घबराकर ईरान, कतर, सऊदी अरब तक मदद की पुकार लगा रहा था किंतु इसका असर दिखाई नहीं दे रहा था। पाकिस्तान के ही एक पूर्व सैन्य अधिकारी के सोशल मीडिया पर आए वीडियो की माने तो उन्होंने उसे दिन पाकिस्तान को चीन और अमेरिका ओर चीन से मदद लेने की बात कही । इधर परमाणु युद्ध की आशंका से चिंतित अमेरीका भी पाकिस्तान की करुण पुकार सुनते ही इस युद्ध को रोकने के लिए भारत से बात करने को तैयार हुआ तो दूसरी तरफ चीन भी दक्षिण एशिया में बढ़ रहे तनाव से अपने नुकसान को देखते हुए भारत से बात करने को तैयार हुआ।
अमेरिका और चीन दोनों ने ही अपने-अपने डिप्लोमेटिक चैनल से भारत से इस युद्ध को रोकने की प्रार्थना करने लगे। दोनों से ही भारत में स्पष्ट कहा कि उसका आक्रमण पाकिस्तान के ऊपर नहीं था वह पहलगाम में हुए आतंकी हमले के आतंकियों को सजा देना चाहता था जिन में कुछ आतंकी कैंप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ-साथ पाकिस्तान में भी थे जिनको भारत ने निष्फल किया। बाद में पाकिस्तान की अनियंत्रित प्रतिक्रियाओं के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के हवाई और सैन्य और बेस पर हमला किया अगर पाकिस्तान प्रतिक्रिया नहीं देता तो भारत इसमें आगे बढ़ाने के लिए इच्छुक नहीं है । भारत की लड़ाई आतंक से है पाकिस्तान से नहीं ।
भारत के संदेश को चीन और अमेरिका ने पाकिस्तान को बताया और अमेरिका ने पाकिस्तान को स्पष्ट आदेश दिया कि वह डायरेक्ट भारत से सैन्य हॉटलाइन पर कार्यवाही रोकने के लिए प्रार्थना करें ।
इसके बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से सुबह 9:00 बजे बात करने के लिए संदेश भेजा, जिसके बाद दोपहर 3:00 बजे बातचीत का समय तय हुआ इसी बीच पाकिस्तान के मंत्री इशाक डार ने पाकिस्तान के लगभग सरेंडर करने के बयान भी जारी किया ।
3:00 बजे हुई मीटिंग में दोनों सेनाओं के बीच तनाव को सैन्य गतिविधियों को विराम देने के लिए सहमति बनी । और यह हुआ कि शाम 5 बजे से दोनों ओर से किसी भी तरीके की सैन्य प्रतिक्रियाएं नहीं दी जाएंगी और 12 में को दोपहर 12:00 बजे किसी अन्य जगह इसको लेकर बातचीत की जाएगी । जिसके बाद रविवार शाम डीजीएमओ भारत की प्रेस कांफ्रेंस के अनुसार दोनों देशों के बीच एक सैन्य गतिविधियों के निलंबन की अंडरस्टैंडिंग बनी है जिसके 12 मई को दोपहर 12:00 बातचीत के बाद आगे की राह तय की जाएगी ।
इसी बीच अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने 5:30 पर भारत सरकार की घोषणा से पहले दोनों देशों के बीच सीजफायर की घोषणा कर दी जिससे जहां एक और भारत भौचक का रह गया, वहीं पाकिस्तान भी ईरान, कतर, सऊदी अरब , चीन और अमेरिका को इस सीजफायर के लिए धन्यवाद देकर खुद को विजेता मानता नजर आया ।
इस पूरे संघर्ष में भारत की सैन्य और तकनीकी श्रेष्ठता भी स्पष्ट रूप से सामने आई है भारत की मिसाइलों ने पाकिस्तान के चीनी निर्मित हवाई रक्षा सिस्टम्स, जैसे HQ-9 और LY-80, को पूरी तरह नाकाम कर दिया। यह न केवल पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की कमजोरी को उजागर करता है, बल्कि चीन की सैन्य विश्वसनीयता पर भी गहरा आघात है, जिसने इन सिस्टम्स को अभेद्य के रूप में प्रचारित किया था।
भारत ने न सिर्फ अपने प्रमुख लक्ष्य हासिल किए है बल्कि पाकिस्तान के सैन्य एयरबेस पर सटीक हमला करके उनके परमाणु हथियारों के असुरक्षित होने का दबाव भी बना दिया है । भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों के विनाश के साथ लगभग 100 आतंकियों के खात्मे और पाकिस्तान के परमाणु दावों की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाना क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव का भी संकेत है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
ऐसे में कथित तौर पर हुए इस सीजफायर के बाबजूद प्रश्न उठ रहे है कि क्या यह ‘सीजफायर’ केवल एक अस्थायी विराम है, या यह दक्षिण एशिया में स्थायी शांति की ओर कदम हो सकता है? यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जहां एक और अमेरिका और पाकिस्तान सीजफायर की बात कर अपने-अपने राजनीतिक हित साथ रहे हैं वहीं भारत की ओर से इस सैन्य गतिविधियों का निलंबन ही बताया गया है। इसके साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत की ओर से विदेश मंत्री और सैन्य अधिकारी ही इस पर सीमित प्रतिक्रिया दे रहे है । यही नहीं भारत की ओर से अमेरिकी मध्यस्थता की बात को भी एक सिरे से खारिज किया गया है और पाकिस्तान पर किसी भी तरीके के आतंकी हमले की सूरत में एक्ट आफ वार का दबाव बनाकर भारत इस पूरे प्रकरण में फिलहाल मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है ।
यह भी सच है कि आने वाले दिनों में सैटेलाइट तस्वीरें पाकिस्तान के वायुसेना अड्डों में हुई तबाही को उजागर करेंगी, जिससे उसकी रक्षा प्रणाली की कमजोरियाँ वैश्विक मंच पर सामने आएंगी। इसके साथ ही पाकिस्तान द्वारा चीनी सैन्य उपकरणों पर अत्यधिक विश्वास और उनका समय पर काम ना कर पाना चीन के सैन्य उपकरणों के व्यापार पर सीधा प्रभाव डालेगा । पाकिस्तान भी चीन की जगह अमेरिका से हथियार खरीदने की ओर झुक सकता है। यहां एक बार फिर से पाकिस्तान पर अमेरिका का प्रभाव बढ़ता दिखा सकता है । जिसके परिणाम स्वरुप क्षेत्र में भारत चीन और पाकिस्तान के बीच एक नया त्रिकोणीय संघर्ष उत्पन्न हो सकता है
ऐसे में यह ‘सीजफायर’ भले ही तात्कालिक राहत लेकर आया हो, लेकिन यह दक्षिण एशिया में शांति की गारंटी तो नहीं होगा । अब आने वाले दिनों में सिर्फ यह देखना बाकी रहेगा की 80s फायर कितने दिन तक चलेगा इसको चलाने के लिए पाकिस्तान अपनी आदतों को कितने दिन तक रोक पाएगा क्योंकि भारत के प्रति पाकिस्तान की कुंठित सो उसे यहां पर आतंकी कार्यवाही करने के लिए एक न एक दिन मजबूर कर देंगे और भारत द्वारा किसी भी आतंकी हमले को एक्ट का बार मानना इस क्षेत्र में पुनः युद्ध की नई भूमिका बना देगा।