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अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस : आजादी के अमृतकाल की बेला और इस भ्रष्ट व्यवस्था में क्या पत्रकार सच में स्वतंत्र है ?

आशु भटनागर । आज अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस है । जगह-जगह इसके नाम पर पत्रकारों को सूखी शुभकामनाएं दी जा रही है । सूखी इसलिए कि जब देश की 80 करोड़ जनता 5 किलो राशन के सहारे अपना जीवन यापन कर रही हो तो फिर देश में उनकी समस्याओं को उठाने वाला पत्रकार कैसे मलाई खा सकता है ?

आजादी की अमृत काल की बेला में पत्रकार, पत्रकारिता और उसकी स्वतंत्रता को लेकर चर्चाएं अलग दिशा में होने लगी है। पत्रकारों की स्वतंत्रता से पहले उनके अस्तित्व पर ही प्रश्न उठाने वाले अक्सर उन्हें ब्लैकमेलर और दलाल कहकर अपनी हताशा जाहिर कर लेते हैं । हाल के दिनों में नोएडा में एक पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद जिले के भूमाफिया, खनन माफिया, बड़े-बड़े अपराधी ओर कई बार तो पुलिस वाले भी अपने पापों को बताने वाली खबरों को छिपाने/ हटाने के लिए पत्रकारों को ही धमकाने लगे है । खबर मन माफिक ना हो तो कुछ भी हो सकता है ।

एक पत्रकार मित्र ने सही लिखा कि टीवी पर प्रवक्ताओं को बुलाकर युद्ध कराने वाले एंकर पत्रकार नहीं होते, किसी सीएम, पीएम, मंत्री से लेकर संतरी तक का इंटरव्यू भी पत्रकारिता नहीं होती। आम जनता मार्केटिंग की शिकार होकर इन्हें सेलेब्स बना देती है इसका अर्थ यह नहीं कि वे पत्रकार हो गये। पत्रकार खुद के प्रसिद्ध होने के बजाए खबर के प्रसिद्ध होने पर खुश होता है । आजादी के बाद से अब तक अखबारों की कई रिपोर्ट्स ने सरकार हिला दीं। क्या किसी रिपोर्टर का नाम आपको याद है?

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किसी जिले के स्ट्रिंगर ने पाठशाला में दाल की जगह पानी की खबर खोली, ज़िले के अस्पताल के गड़बड़ झाले को खोला, शराब माफ़िया, ज़मीन माफिया, स्कूल माफिया कर पुलिस की मनमानी के खिलाफ खबर निकालने वाले पत्रकार हैं। जनता की पीड़ा के लिए अपनी पीड़ा को छुपाता हुआ भीड़ की मनमानी के विरुद्ध अपनी कलम के साथ अकेले खड़ा होने वाला पत्रकार है।

पर इनको सराहता कौन है? इसीलिए अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस की आवश्यकता दिखाई दी होगी और इसके बाद ही प्रतिवर्ष 3 मई को इसे मनाए जाने के साथ ही ये बताया जाता है कि पत्रकारों की स्वतंत्रता बनाए रखने की आवश्यकता ओर जिम्मेदारी समाज की ही है । पत्रकार अगर आपकी समस्याओं के लिए लड़ने के लिए जाता है तो उसको लड़ाई में साथ देने के लिए नैतिक बल समाज ही प्रदान करेगा  और हां स्वतंत्रता सिर्फ एक दिवस मनाने से नहीं रहेगी उसके लिए पत्रकार को  सहयोग करके उतना सुदृढ़ बनाए रखना कि वह आपके लिए लड़ जाए, यह भी धनपशुओं, भूमाफियाओं की जगह समाज को ही करना होगा ।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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