उत्तर प्रदेश में 27,000 सरकारी स्कूल बंद करने की योजना पर सियासी घमासान, ‘आप’ ने दी आंदोलन की चेतावनी

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के 27,000 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के प्रस्तावित फैसले ने शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है। इस फैसले के विरोध में आम आदमी पार्टी (आप) ने मुखर रूप से मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब में एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर पार्टी ने सरकार के इस कदम की कड़ी निंदा की और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।

पार्टी के किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष, कमांडो अशोक ने सरकार के इस निर्णय को “संविधान और शिक्षा के अधिकार पर सीधा हमला” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला देश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और सर्वशिक्षा अभियान जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं के उद्देश्यों को कमजोर करता है। उन्होंने इसे नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया।

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इसी क्रम में, पार्टी की पश्चिमी प्रांत प्रभारी रंजना तिवारी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “कम उपस्थिति” का हवाला देकर स्कूलों पर ताला लगाना निंदनीय है और यह केवल एक बहाना है। उन्होंने जोर देकर कहा, “सरकार का काम शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है, उसे कमजोर करना नहीं।”

आप नेताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार को दिल्ली और पंजाब में अपनी पार्टी द्वारा लागू किए गए शिक्षा मॉडल से सीख लेने की सलाह दी। उन्होंने दावा किया कि उनके शासित राज्यों में सरकारी स्कूलों की स्थिति में क्रांतिकारी सुधार हुए हैं, जिससे छात्रों की उपस्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई है।

आम आदमी पार्टी ने सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि यह जनविरोधी फैसला वापस नहीं लिया गया, तो पार्टी पूरे प्रदेश में एक बड़ा जनआंदोलन शुरू करने के लिए बाध्य होगी।

इस पत्रकार वार्ता के दौरान पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अजहर, गौतमबुद्ध नगर जिला अध्यक्ष राकेश अवाना, संदीप भाटी और विपिन समेत कई वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे। इस विरोध प्रदर्शन से यह स्पष्ट है कि शिक्षा से जुड़ा यह संवेदनशील मुद्दा आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है

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