जानिए राम लल्ला की तीन मूर्तियों में योगी राज की मूर्ति ही क्यों बनी सर्वश्रेष्ठ

NCRKhabar Mobile Desk
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रामलाल की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा के बाद जहां एक और लोगों ने मूर्ति के सौंदर्य से अभिभूत होकर की तारीफ की वही श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बाकी दो मूर्तियों के चित्र को भी जनता के लिए उपलब्ध करा दिया इसके बाद तीनों मूर्तियां को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई इन्हीं चर्चा में यश एस दुबे का एक विचार हमको अच्छा लगा उसको हम आपके लिए प्रकाशित कर रहे हैं

सत्यनारायण पांडेजी की बनाई मूर्ति निश्चेत अवस्था है, क्रिया कुछ नही, कुछ सदोष भी, पर एक उर्ध्वगमन की अभिलाषी.. सो वह प्राणायाम की पूरक स्थिति जहां से श्वास लेना आरंभ हो।

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गणेश भटजी के अलौकिक अद्वितीय अनिंद्य बहुआयामी निर्माण में प्राणायाम की मध्यावधि कुंभक है, जैसे फेफड़े और उसके अवयव वायु से, किसी कुंभ की भांति भर जाते हैं। सारी चेतना से ओतप्रोत! अनेकानेक संभाव्य उन्मेषों को उत्साह देते हुए.. इंग्लिश में जिसे breathtaking beauty कहा जाता है!? वैसे ही…

अरुण योगिराजजी से जो बना है, वह रेचक गति में है। जहां भरी हुई श्वास छोड़ दी गई है। भीतरी प्राणचेतना की अनुभूति कर बाह्य भौतिकी का स्पर्श भी अनुभूत है। सो चेतना का सौंदर्य भी है और दैहिक के अवशेष भी।

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परब्रह्म तो इन सबसे मुक्त अलिप्त अप्रमेय हैं, फिर भी अपने जीव अंश से उसका उतना जितना बन सके उसे स्वीकार ही लेते हैं। सो वही भीतर से बाहर व्यक्त होता दिखता है।
जिसके अंतःकरण की जो जैसी दशा, जैसी कांक्षा होगी उसकी आपूर्ति कराने के तीनों विकल्प हैं यह। जिन्हें श्रद्धा तो है, परंतु उस ओर बढ़ने की कोई परिस्थिति अथवा संभावना नहीं, उनके लिए प्रथम अवस्था का स्मरण भी शुभ ही है! जो श्रीगुरू और इष्ट आराध्य की कृपा और अपने पुण्यसमृद्ध प्रारब्ध से परमात्मा के अभूतपूर्व वैभव को जान समझ धन्य हैं, उनका मन द्वितीय स्थिति को निहारकर निहाल हुए जा रहा है। निश्चित ही ये अद्भुत है!!

अब के इस उपक्रम को अगणित जनमानस की निज भावना से व्यक्त होना था, एक अथाह संघर्ष की अप्रतिम परिणीति के रूप में। सो उसमें उक्त में जिसे वरीयता मिली सो दिख गया है। एक प्रलंबित क्रिया से मिले विश्राम से, आगे बढ़ने की नई प्रक्रिया के लिए चालायमान होने का भाव लिया जाना चाहिए।

बाकी ये तीन बिंदु हो या सहज सदा चलता श्वासोच्छ्वास, इन विग्रहवान् धर्म को प्राण में प्रतिष्ठित कर लेना इस अविस्मरणीय दिन का हम सबके लिए प्रसाद Goal हो, इसमें संशय नहीं।

श्रीराम जय राम जय जय राम!!! 💖

लेख साभार यश एस दुबे जी

(प्रस्तुत विचार लेखक के टूटे फूटे सिमटे समेटे परंतु अपने हैं, इनमें किसी भी प्रकार की असहमति अथवा आपत्ति का सौहार्द्र पूर्ण ढंग से व्यक्त किए जाने पर स्वागत है। सहमति होने पर ये आप ही का है!!)

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