शिकार करने को आए, शिकार हो कर चले । ये गाना आजकल लोकसभा चुनाव के दौरान जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह पर चरितार्थ हो रहा है अब आप पूछेंगे कि लोकसभा चुनाव तो भाजपा से डॉ महेश शर्मा लड़ रहे हैं तो फिर मुश्किल धीरेंद्र सिंह की क्यों हो रही है ?
तो भईया राजनीतिक चर्चाओं की माने तो गौतम बुध नगर लोकसभा चुनाव में इन दिनों जाति के आधार पर तीन पार्टियों ने अपने-अपने समीकरण बना लिए हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी ने ब्राह्मण प्रत्याशी डॉ महेश शर्मा को एक बार फिर से टिकट दिया है तो उनके जवाब में गुर्जर समाज की ओर से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर डॉ महेंद्र नगर को टिकट दे दिया है I यहां तक तो मामला सही था, नरेंद्र भाटी और सुरेंद्र नागर जैसे क्षेत्र के कद्दावर गुर्जर नेताओं के भाजपा में होने से भाजपा को इस प्रत्याशी से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था । माना जा रहा था कि गाजियाबाद में अपना अस्पताल चलाने वाले और क्षेत्र के गुर्जर समाज में बेहद कमजोर दिखाई देने वाले समाजवादी पार्टी के गुर्जर प्रत्याशी के चलते डॉक्टर महेश शर्मा कैंप बेहद खुश था । किंतु इस पूरे खेल में क्षत्रिय प्रत्याशी उतार कर मायावती ने बड़ा कांड कर दिया है और इस कांड के सबसे बड़े शिकार जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह होते दिखाई दे रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मायावती ने क्षत्रिय समुदाय से राजेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट देकर असल में डॉक्टर महेश शर्मा नहीं जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह की राजनीति पर ग्रहण लगा दिया है अब तक क्षेत्र में चर्चाएं धीरेंद्र सिंह और डॉक्टर महेश शर्मा के बीच तकरार और को लेकर थी किंतु अब समस्या यह हो गई है कि क्षेत्र में अगर राजेंद्र सोलंकी को क्षत्रिय समाज का वोट चला जाता है तो उसके पूर्णतया जिम्मेदार जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह माने जाएंगे।
क्षेत्र की राजनीति को लंबे समय से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार ने एनसीआर खबर को बताया की पहली बार धीरेंद्र सिंह डॉक्टर महेश शर्मा के लिए सार्वजनिक तौर पर ही नहीं दिल से भी कामना कर रहे होंगे । क्योंकि जिस तरीके से गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और बुलंदशहर क्षेत्र में क्षत्रिय समाज में भाजपा के खिलाफ बिगुल बजाया है उसे परिणाम थोड़ा भी अगर इधर से उधर हुआ तो डॉक्टर महेश शर्मा की जीत का तो अंतर कम होगा किंतु उसकी सीधी गाज धीरेंद्र सिंह पर गिरना तय है क्योंकि जेवर खुर्जा और सिकंदराबाद लोकसभा विधानसभा क्षेत्र में धीरेंद्र सिंह को क्षत्रिय समाज के वोटो के तहत ही कांग्रेस से भाजपा में लाया गया था ऐसे में अगर कोई अन्य क्षत्रिय समाज का प्रत्याशी यहां पर उनके स्थान पर बड़ी दावेदारी पेश कर देगा तो आने वाले समय में धीरेंद्र सिंह की राजनीति का लड़खड़ाना तय है ।
शायद इन्हीं सब बातों को देखते हुए अमित शाह ने दो दिन पहले क्षेत्र के सभी राजपूत विधायकों को यह संदेश भी देने की कोशिश की थी कि क्षत्रिय समाज का वोट अगर भाजपा को नहीं जाता है तो उसके लिए इन विधायकों को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और उसके दुष्परिणाम विधानसभा चुनाव में देख सकते हैं ।
ऐसे में मजबूरी ही सही धीरेंद्र सिंह अब फिलहाल डॉ महेश शर्मा के लिए दिल से वोट मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उनके क्षेत्र के आसपास के क्षत्रिय वोट भाजपा को जाए । वही डॉक्टर महेश शर्मा फिलहाल क्षेत्र के चुनावी गणित में बड़ा रिलैक्स महसूस कर रहे हैं इन दिनों प्रचार को लेकर वह निश्चित दिखाई दे रहे हैं ऐसा लग रहा है कि वह मान चुके हैं की जीत चाहे जितने भी अंतर से हो मगर जीत उन्हीं की होगी ।