घनघोर रण मचा हुआ है, लोकसभा चुनाव में गौतम बुध नगर पर कब्जे की लड़ाई में सब अपने अपने तीर चला रहे है । समाजवादी पार्टी में एक मात्र बचे समाजवादी नेता राजकुमार भाटी ने जेवर में मंच से कहा कि इस लोकसभा में 26 लाख वोटर है उनमें शहरी आबादी पर 6 लाख है । यह वो लोग हैं जो नोएडा की सेक्टर और सोसायटी में रहते है और बाहर से आए हैं इन्हें क्षेत्र के संस्कृति पता है ना क्षेत्र के मुद्दे पता है ।
राजकुमार भाटी यही नहीं रुके, खुद अपना चुनाव जाति और क्षेत्र के आधार पर लड़ने के बाद उन्होंने लोगों के सामने रहस्य उद्घाटन किया कि जिनके पास मुद्दे नहीं होते वह जाती और धर्म की बातें करते हैं उन्होंने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए दावा किया कि उनके पास इस बार मुद्दे हैं इसलिए जाति की बात नहीं होगी ।
राजकुमार भाटी के बयान ने जिले में एक बार फिर से शहरी और गाँव की लड़ाई को उभार दिया है I सपा नेता के बयान पर नोएडा के एक भाजपा नेता ने गरज कर कहा यह सब राजकुमार भाटी के घर से बाहर न निकलने की सोच का परिणाम है कभी देहात मोर्चा से अपने राजनीतिक कैरियर का आरंभ करने वाले राजकुमार भाटी आज भी इस जिले के शहरी बदलाव को स्वीकार करने को तैयार नहीं है । उनके हिसाब से शहर को गांव के प्रधानों के पास जाकर माथे टेकने चाहिए । वह भूल जाते हैं कि शहर की अपनी एक व्यवस्था होती है।
एक अन्य नेता ने दावा किया कि वे कभी भी सच नहीं बोलते हैं वह अपने लोकल अपनी जाति के ही स्थानीय लोगों के अलावा बाकी सब को बाहरी मान लेते हैं किंतु फिर भी अगर स्थानीय और बाहरी का फर्क वह बताना चाहते हैं तो उनको समझना चाहिए कि इस क्षेत्र में नोएडा और दादरी विधानसभा में ही 12 लाख शहरी मतदाता है और ये शहरी लोग इसी शहर के मूल निवासी है क्योंकि इन दोनों ही शहरों में के बसने के बाद वह यहां पर रहने वाले पहले व्यक्ति हैं ।
शहर में संस्कृति वाले युवा नेता ने कहा कि राजकुमार भाटी ने शहरी लोगों को उनकी संस्कृति और मुद्दे ना बात पता होने की बात कह कर ना सिर्फ शहरी लोगों का अपमान किया है बल्कि हर 10 कोस पर वाणी और पानी बदलने की भारतीय संस्कृति का भी अपमान कर दिया है। 120 गांव और डेढ़ सौ से ज्यादा सेक्टर वाले इस क्षेत्र में किस गांव की संस्कृति को मुख्य आधार मान लिया जाएगा ? ऐसे में ग्रामीण और शहर की बात करके राजकुमार भाटी विकास को रोकना चाहते हैं। चुनाव जीतने की तो बात छोड़िए क्षेत्र में अपनी राजनीति को जिंदा रखने के लिए हैं ऐसी अंग्रेजों की तरह बांटने वाली सोच राजकुमार भाटी की ही हो सकती है ।
स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के दावे करने वाले राजकुमार भाटी पांच विधानसभाओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न प्रदेशों से आए लोगों से उनकी स्थानीय बोली और भाषा को शहरी प्रभाव में लाने की बात करते हैं,किंतु उनको नीचा दिखा कर। समानता की बातें करने वाले राजकुमार भाटी शहरी लोगों को दोयम दर्जे का बनाना चाहते हैं। नोएडा के 7:30 लाख वोटो में मात्र 84000 वोट गांव में है । और राजकुमार भाटी ग्रेटर नोएडा वेस्ट और एक्सप्रेस वे के साथ ग्रेटर नोएडा के शहरी वोटर को गिनना भूल जाते हैं इसीलिए उनको बस 12 लाख की जगह 6 लाख वोटर याद रहते हैं ।
वहीं अब समाजवादी पार्टी छोड़ चुके एक शहरी नेता ने एनसीआर खबर को बताया कि राजकुमार भाटी अपने चुनाव में भी ऐसी ही हरकतों के कारण दादरी तो छोड़िए नोएडा में भी शहरी वोट का टोटा करवा दिए थे । वो तब के अध्यक्ष के साथ हम लोगो ने मेहनत की तब जाकर समाजवादी पार्टी को थोड़ा शहरी वोट मिला था, जबकि इनकी दादरी सीट पर तो शहर में इनके बस्तो का भी पता नही था वोट तो कहां से मिलता । पता नही इनको शहरी व्यक्ति से इतनी नफरत क्यों है ? अरे जब यह नोएडा शहर बसा नहीं था तो इस क्षेत्र के लोगो की पहचान क्या वैश्विक पटेल पर इतनी बड़ी थीI स्वयं देहात मोर्चा से लड़ने वाले राजकुमार भाटी 15000 वोट नहीं पाते थे । अगर समाजवादी पार्टी का मुस्लिम कैडर वोट बहुतायात में ना मिला होता तो उन्हें इतने वोट भी ना मिलते ।
मामले पर शहरी के एक वरिष्ठ पत्रकार ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि माना की राजकुमार भाटी राजनीति के लिए क्षेत्र को ग्राम और शहर में बताकर लड़वाना चाहते हैं किंतु चुनाव के बाद भी हमें साथ ही रहना हैं । ऐसे में मैं तो यही कहूंगा की आपस में लड़ने की जगह राजकुमार भाटी को उनके वाले वोट मिलने दो और जो शहरी लोग हैं वह अपने वोट अपनी पसंद के उम्मीदवार को दे दे ।
एक अन्य समाजसेवी के अनुसार राजकुमार भाटी के साथ यही समस्या है । लगता है यह इस बार भी सपा को हरवाने का ही ठेका ले लिया है ऐसे भला कोई अपने ही प्रत्याशी को हिट विकेट करने के लिए बयान देता है क्या ? यह 12 लाख को 6 लाख बताकर अपमान कर रहे हैं या नहीं पर समस्या को छोटी करके उसे विपक्षी के खेमे में डाल देखकर अपनी हार को पक्का कर रहे हैं ।