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PDA या B-PDA : अखिलेश यादव के माता प्रसाद पाण्डेय वाले ब्रह्मण मास्टर स्ट्रोक से सवर्ण विरोधी नेताओं को लगा डबल झटका, प्रवक्ता राजकुमार भाटी भी दर्द ना छिपा न बता पा रहे

Story Highlights
  • समाजवादी पार्टी में माता प्रसाद पांडे को लेकर अभी भी विरोध जारी है
  • इसके जरिए PDA बना B PDA : डॉक्टर ज्ञान प्रकाश यादव
  • जरूरी नहीं है कि हर निर्णय आपके मन माफिक हो या हर फैसला आपकी समझ में ही आए : राजकुमार भाटी

आशु भटनागर । राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव का तो सच में कुछ पता नहीं रहता कि वो कब क्या फैसले ले लें । 2024 के चुनाव में सीटों पर तीन-तीन बार प्रत्याशी बदलकर उन्होंने बार-बार साबित किया कि वह सोते वक्त किसी और को टिकट दे देते हैं और सुबह उठने के बाद किसी और को ।

रोचक तथ्य यह भी है कि बदले गए प्रत्याशियों में अधिकांश प्रत्याशियों को हार मिली थी । गौतम बुध नगर में प्रत्याशी के बार बार बदलाव का असर यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी हार गौतम बुद्ध नगर के प्रत्याशी को मिली थी।

रविवार को अखिलेश यादव ने अपने मास्टर स्ट्रोक PDA को B-PDA बनाते हुए ब्राह्मण माता प्रसाद पांडे को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया। अखिलेश यादव का ये सवर्ण मास्टरस्टोक अब समाजवादी पार्टी के कई नेताओं के कलेजे में खंजर की तरह उतरता चला गया है । स्थिति यह हो गई है  कि वह ना कुछ कह पा रहे हैं ना कहे बिना रह पा रहे हैं ।

समाजवादी पार्टी पीडीए के बहाने निशाने पर रहे सवर्ण खास अब जातिवादी नेताओं के आगे फिर से स्थान पाते दिखाई दे रहे है । ऐसे में पीडीए के नाम पर सवर्ण समुदाय विशेष तोर से ब्राह्मण से अपनी नफरत और कुंठा प्रदर्शित करते रहे नेताओं की स्थिति बड़ी पेचीदा हो गई है ।

माता प्रसाद पांडे के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के साथ ही समाजवादी पार्टी में हाशिए पर चल रहे कई सवर्ण नेताओं ने भी अपने-अपने लिए लॉबिंग शुरू कर दी है पार्टी के लिए 2024 के चुनाव में सोशल मीडिया टीम के हिस्सा रहे राजीव निगम ने इसको अखिलेश यादव का नया मास्टर स्टॉक बताते हुए अपने लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता की दावेदारी भी पेश कर दी है ।  उन्होंने लिखा कि इन दिनों @yadavakhilesh जी अपने PDA के बल्ले से धुंआधार बैटिंग कर रहे है, गेंदबाज़ो को समझ में नहीं आ रहा है कहाँ गेंद डाली जाये, आज उन्होंने माता प्रसाद जी को नेता प्रतिपक्ष बनाकर फिर सबको चौंका दिया , उधर प्रतिद्वंदी टीम आपस में ही लड़ने में लगी है.. उनसे उनके लोग ही नमस्ते करने को तैयार नहीं है.. ये बदलाव की राजनीति है.. वक़्त बदल रहा है, आगे और भी बहुत कुछ बदलेगा ।

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ऐसे में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी का देर रात आया एक ट्वीट उनकी भी मनोदशा को प्रदर्शित करता है राजकुमार भाटी ने सुबह से लेकर रात तक माता प्रसाद पांडे के मामले पर प्रतिरोध तो नहीं किया किंतु रात को उन्होंने अपने मन की पीड़ा ट्विटर पर लिख दी और कहा कि जरूरी नहीं है कि हर निर्णय आपके मन माफिक हो या हर फैसला आपकी समझ में ही आए किंतु नेता के ऊपर भरोसा करके चलोगे तभी पार्टी आगे बढ़ेगी जो निर्णय हमारे नेता ने लिया हम सबको उसका समर्थन करना चाहिए ।

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गौतम बुध नगर में भी अखिलेश यादव के माता प्रसाद पाण्डेय  को प्रतिपक्ष बनाए जाने के फैसले की गूंज का भी बड़ा असर देखा जा रहा है समाजवादी पार्टी के लखनऊ सूत्रों की माने तो सितंबर तक यहां पर दोनों जिला अध्यक्ष बदले जाने हैं जानकारी के अनुसार नोएडा महानगर में किसी सवर्ण को पुनः अध्यक्ष बनाया जा सकता है तो समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष के तौर पर पार्टी गुर्जर या ओबीसी की जगह दलित या ब्राह्मण समुदाय के किसी नेता पर दाव लगा सकती है ।

वहीं समाजवादी पार्टी में माता प्रसाद पांडे को लेकर अभी भी विरोध जारी है डॉक्टर ज्ञान प्रकाश यादव ने इसके जरिए PDA को B PDA बताते हुए कहा की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के 84 पदों में से 83 ब्राह्मण की नियुक्ति माता प्रसाद पांडे के इशारे पर हुई थी इतना करने पर भी वह अपना बूथ हार गए थे ऐसे में इन्हें समाजवादी पार्टी के द्वारा नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना कितना न्याय संगत होगा ?

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क्षेत्र के तथा गठित जातिवादी नेताओं की ब्राह्मण और सवर्ण समुदाय से नफरत की इंतहा आप इस बात से समझ सकते हैं कि कांग्रेस के समर्थन में रहने वाले राजनैतिक विश्लेषक और स्वयंभू गांधीवादी दुष्यंत सिंह नागर भी पार्टी के निर्णय को गलत बताते हुए लिख रहे हैं कि नेता के ऊपर भरोसा तो है लेकिन निर्णय वापस करना चाहिए।

पार्टी में सवर्ण विरोधी सोच किस कदर हावी है इसका अंदाजा आप इसे भी लगा सकते हैं कि विधान परिषद के चुनाव के समय यह सभी नेता कायस्थ आलोक रंजन के प्रत्याशी बनने तक का विरोध कर रहे थे और उनके हार जाने पर कई नेताओं ने खुशियां मनाई थी ।

इस सब से अलग समाजवादी पार्टी के सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव ने ब्राह्मण को नेता प्रतिपक्ष ऐसे ही नहीं बना दिया है। समाजवादी पार्टी के लखनऊ सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव ओबीसी के सहारे 2024 की में जो कांठ की हांडी एक बार चढ़ा चुके हैं और उसका दुबारा चढ़ना उनको अब मुश्किल लग रहा है। जानकारों का भी कहना है की संविधान और आरक्षण के नाम पर जो ब्रांड 2024 के चुनाव में एक बार भुना लिया गया उसको दोबारा प्रयोग करने में ज्यादा नुकसान है । इसलिए पार्टी रणनीतिकारों ने जातिवादी नेताओं की सोच को दरकिनार करते हुए एक बार फिर से स्वर्ण की तरफ हाथ बढ़ाया है और ब्राह्मण कार्ड के जरिए इसका संकेत दिया है । आने वाले दिनों में कई फैसले पार्टी के नेताओं को चौंका सकते है ।

किंतु पीडीए के नाम पर अपनी नफरत और कुंठा प्रदर्शित कर रहे कर चुके नेताओं के लिए वापसी के राह आसान नहीं हो रही है। कल तक मनोज पांडे के नाम के बहाने ब्राह्मणों और सवर्णों को कोस रहे यह नेता अभी तय नहीं कर पा रहे हैं कि घर वापसी की राह कैसे आसान की जाए।  यद्धपि  राजनेताओं के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं होता है और वह मौका पडते ही अपने पुराने बयान और नफरती एजेंडे को मीडिया द्वारा तोड़ मरोड़ के बताया जाना बता सकते हैं।

दूसरे राजनीतिक दलों में सवर्णों के नाम पर दलित और ओबीसी को भड़काने वाले यह नेता अभी नहीं कह पा रहे हैं की उनके यहां भी ब्राह्मण को आगे करके उनके अरमानों का गला घोट दिया गया है । क्या ये माना जाए कि कल तक ब्राह्मण के नाम पर बीजेपी को गाड़ी आने वाले आज अपने नेता में भरोसा और उसके फैसले को मानने के बहाने अपना दर्द छुपाने की सफल कोशिश कर रहे

समाजवादी पार्टी में अब कई नेताओं को यह भी लग रहा है कि कहीं ऐसा ना हो कि अखिलेश यादव मनोज पांडे के मामले पर भी नरम हो जाएं। दरअसल मनोज पांडे से इन नेताओं की कुंठा छुपी नहीं रही है क्योंकि मनोज पांडे मुलायम सिंह यादव के समय से ही बड़े खास रहे हैं कहा जाता है मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते किसी को भी काम के लिए पहले मनोज पांडे के पास ही जाना पड़ता था । ऐसे में जब पीडीए के बहाने मनोज पांडे और ब्राह्मण समुदाय को घर आने का मौका इन नेताओं को मिला तो उन्होंने जमकर भड़ास निकाली थी। किंतु अब माता प्रसाद पांडे के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अपनी अपनी सोशल मीडिया पर सवर्ण और ब्राह्मणों को कोसने वाले  नेताओं की स्थिति जल में मगरमच्छ से बैर वाली दिखाई दे रही है किन्तु होई वही जो राम रचि राखा से संतोष करने को मजबूर हो रहे है।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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