गाजियाबाद में भाजपा की महिला महापौर सुनीता दयाल और नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक एक बार फिर से आमने-सामने आ गए हैं नगर आयुक्त ने बाकायदा पत्र लिखकर महापौर के पति को नगर निगम की फाइलों को देखने के अधिकार नहीं होने के आदेश दिए हैं । नगर निगम के सूत्रों के अनुसार फाइलों को अप्रूवल से पहले महापौर सुनीता दयाल के पति द्वारा मंगा कर देखने की बात सामने आई है । इसके बाद नगर आयुक्त में सभी विभाग अध्यक्षों को लेटर भेजा है।
नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि शासकीय कार्य की पत्रावलियां बिना हस्ताक्षर की स्वीकृति प्राप्त किये बिना ही महापौर के पति के समक्ष प्रस्तुत की जा रही हैं। जबकि, आप नगर निगम की महापौर निर्वाचित है तथा नगर निगम अधिनियम-1959 के अनुसार महापौर को ही बैठक में सम्मलित होने का अधिकार है। शासकीय कार्य की पत्रावली वे केवल नगरााक्त की आज्ञा से देख सकती हैं। विधिवत आवेदन के बाद उन्हें पत्रावली अवलोकन करने की इजाजत दी जाएगी।
आदेश में कहा गया है कि महापौर के पति नगर निगम अधिकारियों से फोन करके उचित माध्यम के बिना पत्रावलियों की कॉपी मंगाते हैं। यह सरकारी कार्य में हस्तक्षेप की श्रेणी में आता है। यह आफिसियल सीक्रेट एक्ट-1923 का खुला उल्लंघन और एक दंडनीय अपराध है। इसके पश्चात भी निरंतर उनके द्वारा इस प्रकार का कार्य आपके सहयोग निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोई भी पत्रावली उपलब्ध न कराएं और न ही सरकारी।
नगर आयुक्त ने निगम के सभी विभागाध्यक्ष को आदेश जारी करते हुए कहा है कि कोई भी पत्रावली और अभिलेख उपलब्ध न करायें जाये और न ही सरकारी रिकॉर्ड्स की फोटो कॉपी स्केनिंग प्रश्नगत आशय से करायी जाये। यदि निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जाता है तो संबंधित अधिकारी भी ऑफिसियल सिक्रेट एक्ट-1923 के अन्तर्गत संलिपत्ता के आधार पर दोषी होंगे तथा उनके खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
वही महापौर सुनीता दयाल ने भी नगर आयुक्त की तरफ से लगाए गए इन आरोपों का पत्र लिखकर जवाब दिया है नगर आयुक्त को संबोधित करते हुए महापौर ने लिखा कि शायद आप यह स्थापित करना चाहते हैं कि आपको नगर निगम में निरंकुश शासन चलाने का अधिकार है । आपका यह आदेश जनप्रतिनिधि के अधिकारों को कुचलने का प्रयास है ।