उत्तर प्रदेश में आप समाजवादी पार्टी से जुड़े माफियाओं पर पुलिस सख्त हो चुकी है अयोध्या और कन्नौज में अपराधिक मामलो में सपा नेताओं की गिरफ्तारी के बाद अब नोएडा पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए नोएडा के कुख्यात भूमाफिया और समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के भाई को गिरफ्तार किया है । जानकारी के अनुसार हापुड़ से गाजियाबाद की ओर छिजारसी टोल से गिरफ्तार किया है पुलिस के अनुसार पप्पू यादव पर ₹25000 का इनाम था इसका मुख्य अपराध सरकारी जमीन पर कूट रचित दस्तावेज तैयार करके लोगों को बेचना था और उसके बाद कब्जा न देकर जान से मारने की धमकी भी देता था ।
डीसीपी सेंट्रल टू डीपी शक्ति मोहन अवस्थी के अनुसार पप्पू यादव सरफाबाद का रहने वाला है साथ ही थाना 113 का हिस्ट्रीशीटर भी था और 2017 से ही डूब क्षेत्र में तमाम कॉलोनी काटने का आरोपी है ऐसे ही एक मामले में फरवरी 2024 में दिल्ली की दो महिलाओं ने कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि गांव सलारपुर में जमीन दिलाने के नाम पर उसे 15 लाख 70000 रुपए लिए गए थे। इसके अलावा 2018 में भी एक मामला दर्ज हुआ था जिसमें 45 लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई थी पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश में थी और शनिवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पप्पू यादव निकला सपा नेता का भाई, धर्मेंद्र यादव के आने से पहले इस गिरफ्तारी से सपाइयों में हड़कंप
वही मीडिया में आई जानकारी के अनुसार पप्पू यादव समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता का भाई है और सरफाबाद में उनके आवास पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आ चुके हैं ।
इस घटना से बेखबर वैश्य समाज के नेताओं का एक गुट नोएडा महानगर अध्यक्ष डॉ आश्रय गुप्ता के नेतृत्व में धर्मेंद्र यादव को नोएडा के अग्रसेन भवन में अगले हफ्ते बुलाने जा रहे थे जिसके जरिए 2027 में टिकट को लेकर नोएडा में समाजवादी पार्टी के नेताओं के बीच जातीय गणित में वैश्य समाज की स्थिति को मजबूत दिखाना बताया जा रहा था। किंतु धर्मेंद्र यादव के आगमन से महज 4 दिन पहले हुए इस घटनाक्रम के बाद समाजवादी पार्टी में इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या कार्यक्रम को किया जाए या फिर इस कार्यक्रम को कुछ दिन तक स्थगित कर दिया जाए ।
समाजवादी पार्टी का सूत्रों की माने तो वैश्य समुदाय द्वारा बुलाए गए बुलाई जा रहे धर्मेंद्र यादव के सामने भी पप्पू यादव की गिरफ्तारी के कारण कई समस्याएं आ सकती हैं। नोएडा में मीडिया इन सवालों को लेकर मुखर हो सकता है और धर्मेंद्र यादव के कार्यक्रम के अलावा बाकी यादव नेताओं के यहां जाने से परहेज किये जाने की दशा में पार्टी की वो गुटबाजी और उभर कर आ सकती है जो वैश्य अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से लगातार हाशिये पर चल रहे यादव नेताओं के बीच दबी हुई है।