नोएडा, ग्रेटर नोएडा की सोसाइटी में सुरक्षा को लेकर भले ही तमाम दावे किए जाते रहे हो। किंतु नोएडा पुलिस कमिश्नरेट का डर अब अपराधियों में काम होता दिख रहा है ग्रेटर नोएडा की इको विलेज वन के बाद अब नोएडा की पारस टियरा सोसाइटी से फ्लैट में घुसकर छेड़छाड़ और मारपीट की घटना सामने आई है ।
जानकारी के अनुसार एलएलबी की छात्रा के साथ पढ़ने वाले तनवीर ने एक तरफा प्रेम में इस छात्रा को कई दिन से परेशान कर रहा था । छात्र के अनुसार रविवार को यह तनवीर अपने साथियों के साथ फ्लैट में घुस कर छात्रा से छेड़छाड़ करने लगा, पीड़ित के शोर मचाने पर उसके भाई और बहन वहां पहुंच गए आरोपियों ने पीड़िता समेत उसके भाई बहन से मारपीट की इसके बाद धमकी देकर फरार हो गए।
सेक्टर 142 थाना प्रभारी के अनुसार मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है आरोपियों के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट पेश की जाएगी । उन्होंने कहा जांच में दो दिन पहले भी तनवीर और छात्र के बीच विवाद की जानकारी सामने आई है ।
बड़े अपराधियों पर लगी लगाम, किंतु छेड़छाड़, आपसी झगड़े करने वालो में नोएडा कमिश्नरेट का डर नही
गौतम बुध नगर में नोएडा पुलिस कमिश्नरेट का डर बड़े अपराधियों में लगातार बढ़ रहा है किंतु छोटे अपराधियों और स्थानीय गुंडागर्दी को पुलिस अभी तक साथ पानी में नाकाम रही है । ग्रेटर नोएडा और नोएडा में शहरी आबादी के बीच बसे कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां तक पुलिस आमतौर पर स्थानीय दबाव या नेतागिरी की आड़ में काम नहीं कर पाती जिसके चलते ऐसे छोटे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और उनकी आंच अब सोसाइटियों के लोगों तक पहुंचने लगी है।
पुलिस के एक अधिकारी ने एनसीआर खबर को बताया की कमिश्नरेट में कई प्रकरण में आई सिफारिश ऐसे प्रकरण में समस्या पैदा करती है, ऐसे में अपराधियों को बच निकलने का मौका मिल जाता है ।
शहरी आबादी जहां सांसद विधायकों के नाम पर अपनी सिफारिश लेकर आते हैं तो ग्रामीण इलाकों से किसान नेताओं के नाम पर ऐसे दबाव आते रहते हैं । कई मामलों में तो नेताओं के संरक्षण में ही इस तरीके के अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है ।
नोएडा के सैक्टर 49 में बीते दिनों एक मकान के रंगदारी के प्रकरण में किसान नेताओं द्वारा पुलिस थाने का किया गया घेराव भी इसी कड़ी का हिस्सा था जहां न्याय भीड़ के दबाव में मजबूर हो गया था । ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हिमालय प्राइड सोसाइटी के एक अन्य घटना क्रम में दबंगों द्वारा एक सोसाइटी में पीड़ित के खिलाफ ही मारपीट का मुकदमा लिखवा दिया गया और पीड़ित की शिकायत दर्ज तक नहीं होने दी । सोशल मीडिया पर इसको लेकर पीड़ित ने बहुत आवाज उठाई किंतु राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस बेबस रही ।
ऐसे में कमिश्नरेट का अधिकांश समय छोटे अपराधिक मामलों 151 की धारा लगाकर इति श्री करने का रह गया है । जिसके कारण आपराधिक मानसिकता के लोगों को कोई खास फर्क नहीं पड़ता है और इसकी आड़ में साधारण निवासी कानून से निर्भयता पाने की जगह भयभीत और प्रताड़ित होता रहता है।