राजेश बैरागी । नोएडा जैसे शहर में गाय भैंस की डेयरी की अधिक आवश्यकता है या कुत्ता पार्क की?हालांकि मैं कुत्तों के विरुद्ध नहीं हूं। बल्कि गली मुहल्लों सोसायटी में बंधनमुक्त कुत्तों की अघोषित वफादारी के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। पालतू होने के साथ साथ कुत्ता एक हिंसक जानवर भी है।यह उसकी विशेषता भी है।
नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर 137 में तीन एकड़ भूमि पर कुत्तों के लिए एक पार्क विकसित किया जा रहा है।आज बुधवार को प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम ने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ यहां दौरा किया और पार्क के विकास के लिए आवश्यक निर्देश दिए।इसी माह इस पार्क में डॉग्स शो आयोजित होना है। नोएडा में डॉग्स शो आयोजन का लंबा इतिहास है।
सेक्टर 21ए स्थित स्टेडियम में यह शो आयोजित होता रहा है। हालांकि इस शो में नोएडा और आसपास के शहरों के अमीर अपने कुत्तों के साथ साथ अपनी अमीरात के प्रदर्शन के लिए आते हैं और वास्तव में अपने कर्तव्यों को निभाने वाले गली मुहल्लों के कुत्तों को यहां प्रवेश नहीं मिलता। एक बार ऐसे ही डॉग्स शो में भ्रमण करते हुए विभिन्न नस्लों के आकर्षक और भयानक आकृति के कुत्तों को देखकर मैं चौंक गया था।
मुझे कुत्तों के लिए एक पार्क विकसित करने के निर्णय पर कोई आपत्ति नहीं है। प्राधिकरण सबके विकास के लिए है। मेरी आपत्ति इतने बड़े और हाईटेक शहर में दूध उत्पादन के लिए अभी तक डेयरी फार्म विकसित न करने के लिए है। क्या यह शहर दूध नहीं पीता? सुबह जागने से लेकर रात को सोने तक, बच्चों जवान और बूढ़ों तक, कुत्तों से लेकर आदमी तक सभी को दूध की आवश्यकता होती है।
दिल्ली में कई डेयरी फार्म विकसित किए गए हैं। क्या नोएडा दूध की आवश्यकता में दिल्ली से अलग है? कुत्ता पार्क की आवश्यकता अनुभव करने वाले अधिकारियों को भैंस गाय की डेयरी की आवश्यकता अनुभव न होना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। दिलचस्प तथ्य यह है कि प्राधिकरण के तृतीय श्रेणी तक के अधिकांश अधिकारी अपने निजी स्रोतों से गाय भैंस का दो सौ रुपए लीटर जितना महंगा दूध मंगाकर पीते हैं। फिर भी कुत्ता पार्क प्राथमिकता में है।