आशु भटनागर । इच्छा शक्ति हो तो एक आम आदमी कैसे पूरी दुनिया बदल सकता है इसका उदाहरण है आज विश्व की सबसे बड़ी कंपनी टी सीरीज (T-Series) यानी सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज (Super Cassettes Industries Limited) के संस्थापक गुलशन कुमार । आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी है ।
5 मई 1951 के दिन दिल्ली के पंजाबी परिवार में जन्मे गुलशन कुमार की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है । उनके पिता चंद्रभान दुआ की दिल्ली के दरियागंज इलाके में जूस की दुकान थी । गुलशन कुमार ने इसी दुकान से कैसेट किंग बनने यात्रा शुरू की ओर सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड की नींव रखी, जो देश की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनी बन गई.।
कैसे बने गुलशन कुमार से कैसेट किंग ?
बंटवारे में पाकिस्तान से आकर दिल्ली के दरियागंज में जूस बेचने वाले चंद्रभान दुआ के चार बेटों में से एक गुलशन कुमार दुआ जूस की दुकान पर बैठते जरूर थे। किंतु उनका मन कुछ अलग करने का था । उन दिनों शोले फिल्म का बहुत जोर था और लोग उसके डायलॉग कैसेट में खरीद कर सुनना चाहते थे किंतु तब एक कैसेट लगभग 35 से ₹50 के बीच आता था ऐसे में यह सब की पहुंच में नहीं था । गुलशन कुमार दरियागंज में ही कैसेट रिकार्ड कर बेचने का काम शुरू कर दिया ।
उसके बाद उन्होंने अपना कैसेट कंपनी शुरू करने का निश्चय किया । इसके लिए उनकी मां ने अपने गहने गिरवी रखकर उन्हें कुछ लाख रुपए दिए जिससे उन्होंने तब बंद हुई एक जापानी कैसेट कंपनी के रिकॉर्डर खरीदे और सुपर कैसेट्स इंडस्टरीज की नींव रखी। आरंभ से ही गुलशन कुमार ने तय किया कि वह कैसेट्स को आम लोगों की पहुंच तक ले जाएंगे उन्होंने अपने कैसेट का दाम ₹10 रखा जो तब के मुकाबले एक तिहाई था ।
अरुण गोविल और अमिताभ बच्चन से है टी सीरीज की सफलता का सबम्न्ध
अधिकृत तौर पर टी-सीरीज ने अपना पहला कैसेट 1984 में दूरदर्शन के प्रसिद्द धारावाहिक रामायण में भगवान राम बने अरुण गोविल (Arun Govil ) की पहली फिल्म लल्लू राम से आरंभ किया । उससे पहले उनकी कंपनी टी-सीरीज के नाम से ही कवर वर्जन बेचा करती थी । उन दिनों म्यूजिक इंडस्ट्री में कोलकाता की कंपनी द ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स ऑफ़ इंडिया यानी एचएमवी (HMV) का बोलबाला था । बॉलीवुड में बनने वाली अधिकतर फिल्मों का संगीत एचएमवी के पास होता था और फिल्मों के संगीत को रायल्टी के आधार पर खरीदा जाता था । यानी जो बिक्री होती थी उसके एक हिस्से को निर्माता संगीतकार गायक और गीतकार में बांट दिया जाता था।
1985 में मनमोहन देसाई की अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) अभिनीत मर्द फिल्म के साथ गुलशन कुमार ने रॉयल्टी की जगह एक मुश्त 5 लाख रुपए देकर फिल्म के अधिकार खरीद लिए जिसने उनकी कंपनी के साथ साथ पूरी फिल्म इंडस्ट्री की दशा बदल दी और उनकी कंपनी को सबके सामने लाकर खड़ा कर दिया । मर्द की सफलता के बाद हर फिल्म निर्माता को टी-सीरीज पर भरोसा हो गया । म्यूजिक की दुनिया में रॉयल्टी की जगह लोग एक मुश्त संगीत के अधिकार बेचने के लिए लाइन लगाकर खड़े हो गए और गुलशन कुमार ने टी-सीरीज के लिए फिल्मों के अधिकार खरीदने शुरू कर दिए ।
80 के दशक में नोएडा औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा था ऐसे में गुलशन कुमार ने नोएडा के सेक्टर 15 स्थित गुलमोहर मार्केट में अपना पहला ऑफिस खोला और यही नोएडा में एक प्लॉट पर शेड डालकर कैसेट निर्माण शुरू कर दिया। उन्हीं दिनों उत्तर प्रदेश सरकार की वीडियो फिल्म को प्रमोट करने की नीति के तहत गुलशन कुमार ने मौके का फायदा उठाते हुए फिल्म निर्देशक रविंद्र पीपट के साथ मिलकर पहले वीडियो फिल्म लाल दुपट्टा मलमल का निर्माण किया जिसके गाने सुपरहिट हुए और टी-सीरीज का नाम म्यूजिकल फिल्मों की कैटेगरी में तेजी से लिया जाने लगा । इसके बाद गुलशन कुमार ने उसी का दूसरा भाग फिर लहराया लाल दुपट्टा और निर्देशक टीनू आनंद के साथ जीना तेरी गली में जैसी वीडियो फिल्में बनाई। गुलशन ने अपने बिजनेस को बढ़ता देख मुंबई शिफ्ट होने की सोची। वहां उन्होंने सुदीप स्टूडियो और गोल्डन चेरियट जैसे रिकॉर्डिंग स्टूडियो बनाए।
कंपनी के कदम फिल्म निर्माण में बड़े तो उत्तर प्रदेश सरकार की फिल्म सिटी की योजना के तहत गुलशन कुमार ने भी नोएडा के सेक्टर 16 ए में प्लॉट नंबर वन पर अपना स्टूडियो बनाया और फिल्मों में कदम आगे बढ़ा दिए जहां गुलशन कुमार कयामत से कयामत तक और दिल जैसी फिल्मों के संगीत की सफलता के आनंद ले रहे थे । वहीं उन्होंने तब के मशहूर निर्देशक महेश भट्ट के साथ मिलकर टी-सीरीज की पहली फीचर फिल्म आशिकी ( Aashqui) का निर्माण किया जो उसे दौर में सबसे बड़ी म्यूजिकल हिट साबित हुई । इसके बाद गुलशन कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनके कंपनी फिल्म संगीत निर्माण से लेकर उसके डिस्ट्रीब्यूशन तक सभी काम देखने लगी।
अक्सर लोग सफलता में भगवान को भूल जाते हैं किंतु भगवान शिव के भक्त गुलशन कुमार अपनी सफलता का सारा श्रेय भगवान शिव और माता वैष्णो देवी को देने लगे और उन्होंने अपनी कंपनी की कमाई का एक हिस्सा माता वैष्णो देवी पर प्रतिदिन भंडारे पर लगना शुरू कर दिया जो आज तक जारी है I गुलशन यही नहीं रुके उन्होंने तब की उभरती किन्तु स्थापित हो चकी गायिका अनुराधा पौडवाल के साथ मिलकर भारत में हिंदी भजनों को एक नए आयाम दिया । टी सिरीज से पहले हरिओम शरण अनूप जलोटा और लता मंगेशकर के ही कुछ भजन प्रचलित थे और यही नाम उन दिनों जाने जाते थे किंतु अनुराधा पौडवाल और सोनू निगम के साथ गुलशन कुमार ने भजनों को नया आयाम दे दिया I गुलशन कुमार और अनुराधा पौडवाल ने हिंदू पौराणिक ग्रंथों से जानकारियां निकाल कर हर देवी देवता के भजन बनाएं और भक्ति संगीत को जन-जन तक पहुंचा दिया। गुलशन खुद कई भजनों में लोगों को नजर आने लगे।
गुलशन कुमार ने टी-सीरीज ब्रांड के अंतर्गत टेलीविजन म्यूजिक सिस्टम से लेकर साबुन सर्फ और धूपबत्ती तक मार्केट में उतार दिए और टी-सीरीज की सफलता की कहानी यहां के अखबारों में लिखी जाने लगी । 1995 में एक समय ऐसा आया जब गुलशन कुमार इस देश के सबसे बड़े टैक्स पेयर बन गए ।
सफलता के साथ मुसीबतें भी आती हैं गुलशन कुमार की सफलता की कहानी मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन तक पहुंची तो गैंगस्टर अबू सलेम ने गुलशन कुमार को हर माह 5 लाख रुपए देने की मांग रखी । जिसको गुलशन कुमार ने साफ मना करते हुए कहा कि इतने रुपये देकर वो वैष्णो देवी में रोज भंडारा कराएंगे। दिल्ली से गए इस लड़के की ऐसी दबंगई से मुंबई अंडरवर्ल्ड हिल गया। उसको फिल्मी दुनिया में अपना आतंक कम होता देखा और उन्होंने गुलशन कुमार को सबक सिखाने का फैसला किया । डराने के लिए उन्होंने सबसे पहले मुंबई में टी-सीरीज के म्यूजिक कैफे के बाहर खड़े गुलशन कुमार के लड़के भूषण कुमार पर गोलियां भी चलवाई गई। भूषण उस हमले में बच गए किन्तु गुलशन ने इसे नज़रअंदाज कर दिया I
कहा जाता है उन्हीं दिनों टी-सीरीज की सफलता से मुंबई बेस्ड एक अन्य संगीत कंपनी टिप्स के मालिक रमेश तोरानी भी बहुत परेशान थे। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में उनकी कंपनी लगातार पीछे रही थी । उन पर भी गुलशन की हत्या की साजिश का इल्जाम लगा । वहीं आशिकी, सड़क, दिल है कि मानता नहीं जैसी फिल्मों के सहारे फिल्मी दुनिया में अपना स्थान बनाने वाले नदीम श्रवण में से नदीम ने गुलशन कुमार से एक एल्बम निकालने को कहा जो मार्केट में आते ही फ्लॉप हो गया नदीम ने इसका आरोप गुलशन कुमार पर लगाया और कहा कि उन्होंने इसको प्रमोट नही किया । दोनों के बीच हुए विवाद के बाद गुलशन की टी सीरीज ने नदीम श्रवण की फिल्मों के राइट्स लेना बंद कर दिया जिससे नदीम को अपने करियर का खत्म हो जाने का खतरा लगा और आरोपो के अनुसार नदीम ने गुलशन कुमार की हत्या की सुपारी दे दी। गुलशन हत्या के बाद नदीम लंदन भाग गया और आज तक वापस नहीं आया ।
फिल्मी स्टाइल में हुई गुलशन कुमार की हत्या
गुलशन कुमार की कहानी जिस तरीके से फिल्मी अंदाज में शुरू होती है उनका अंत भी किसी फिल्म की तरह ही था। 12 अगस्त 1997 गुलशन कुमार मुंबई के जीत नगर स्थित शिव मंदिर में पूजा करने के लिए गए थे जब उनको हत्यारों ने घेर लिया ।
तब की सूचना के अनुसार हत्यारे ने गुलशन कुमार के सर पर बंदूक रखते हुए कहा कि चल बहुत हो गई तेरी पूजा अब तेरा काम करते हैं । गुलशन कुमार ने मौत सर पर देखी तो वहां से भागने की कोशिश की किंतु उनकी मदद के लिए वहां कोई मौजूद नहीं था गुलशन कुमार ने आसपास के घरों में खटखटाया । लोगों को लगा कि ये किसी किसी फिल्म की शूटिंग हो रही है और हत्यारे ने गुलशन कुमार के ऊपर 16 गोलियां उतार दीं। गुलशन को अस्पताल ले जाया गया किंतु अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मृत्यु हो चुकी थी ।
अबू सलेम पर लिखी गई एक किताब में इस घटना को लेकर लिखा गया कि हत्या के वक्त अबू सलेम गुलशन कुमार की चीखे फोन पर सुन रहा था । दरअसल जब शूटर्स ने इस वारदात को अंजाम दिया था तो उन्होंने अबू सलेम को मौके से फोन किया था। करीब दस मिनट तक अबू सलेम फोन पर वारदात पर हो रही फायरिंग और गुलशन कुमार की चीखों को सुनता रहा।
उत्तर भारत से जाकर मुंबई में राज कर रहा एक सितारा जिसको अभी और आगे जाना था अंडरवर्ल्ड का शिकार होकर अस्त हो गया I लोगों को लगा कि गुलशन की हत्या के साथ ही टी सीरीज कंपनी समाप्त हो गई।
बेटे भूषण ने संभाली टी सीरीज
जब गुलशन की हत्या हुई तो उससे पहले ही वे म्यूजिक की दुनिया के इंटरनेशनल ब्रांड बन चुके थे। टी-सीरीज का नाम टॉप म्यूजिक कंपनियों में भी होने लगा था भारत में संगीत के कुल वयवसाय का 50 प्रतिशत टी सीरीज के पास था । रिपोर्ट्स की मानें तो टी-सीरीज का बिजनेस 24 देशों के साथ-साथ 6 महाद्वीप में तक फैला हुआ है। फिलहाल टी-सीरीज कंपनी को गुलशन कुमार के बेटे भूषण कुमार संभाल रहे हैं। उनकी छोटी पुत्री तुलसी कुमार भी गायिका के तोर पर अपनी पहचान बना चुकी है I
भूषण कुमार तब 19 साल के थे और पारिवारिक बंटवारे के बाद भूषण के साथ उनके चाचा और गुलशन कुमार के सबसे छोटे भाई कृष्ण कुमार साथ में रहे और टी सीरीज के म्यूजिक, फिल्म निर्माण को आगे बढ़ाया जबकि गुलशन कुमार के दो भाई दर्शन कुमार और गोपाल कृष्ण बिजनेस से अलग हो गए । गोपाल क्रिशन को साबुन और धुपबत्ती का बिजनेस दिया गया जबकि दर्शन को विडियो निर्माण देकर अलग किया गया I अदालत के निर्णय के अनुसार सभी भाई टी सीरीज ब्रांड को अपने प्रोडक्ट पर प्रयोग कर सकते थे I
आज गुलशन कुमार की खड़ी की गई कंपनी टी-सीरीज विश्व की सबसे बड़ी म्यूजिक कंपनियों में से एक है यूट्यूब पर इसके सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर हैं और गुलशन कुमार द्वारा गई गई हनुमान चालीसा को यूट्यूब पर सबसे ज्यादा देखे जाने का रिकॉर्ड भी बन चुका है । कंपनी में उनके बेटे भूषण कुमार, पत्नी सुदेश कुमारी दुआ और दो पुत्री खुशाली और तुलसी कुमार की हिस्सेदारी है जिनका कुल मिलाकर 9000 करोड़ का बताया जाता है । ऐसे में गुलशन कुमार आज भले ही हमारे बीच ना हो किंतु वह अपने सतकर्मों से अमर हो चुके हैं ।