सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा से जुड़े एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। यूपी सरकार के आदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने को कहा गया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी।
कोर्ट ने तीनों राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। कोर्ट ने कहा दुकानदारों को सिर्फ खाने के प्रकार बताने की जरूरत है। मतलब यह कि दुकान पर सिर्फ लिखे होने की जरूरत है कि वहां मांसाहारी खाना मिल रहा है या शाकाहारी खाना। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
इस मामले पर एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने याचिका दायर की। कोर्ट में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक छद्म आदेश है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यूपी सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश प्रेस स्टेटमेंट था या औपचारिक आदेश था कि दुकान मालिकों का नाम प्रदर्शित किया जाना चाहिए? याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब दिया कि पहले एक प्रेस स्टेटमेंट था। स्टेटमेंट में लिखा था कि यह स्वैच्छिक है लेकिन पुलिस इस आदेश को सख्ती से लागू करा रहे हैं।
बता दें कि 18 जुलाई, 2024 को मुजफ्फरनगर के सीनियर पुलिस अधीक्षक ने निर्देश जारी करते हुए कहा था कि कांवड़ मार्ग के साथ सभी भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। इस निर्देश को 19 जुलाई, 2024 को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सभी जिलों में इस निर्देश का सख्ती से पालन किया जा रहा है।