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गौतम बुद्ध नगर समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष पर वैश्य समाज को दरकिनार करने के आरोप, क्या पार्टी में  पीडीए की आड़ में ओबीसी की अन्य जातियों और सवर्णों पर गुर्जर समाज को दिया जा रहा अधिक महत्व

‘लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है’ प्रख्यात शायर राहत इन्दोरी की ये लाइने जाति की राजनीती करने वाले राजनैतिक दलों को समय पर दर्पण दिखा ही देती हैं I रविवार को जिले में हुए संविधान मान स्तंभ के कार्यक्रम की चर्चा की जगह जब उपेक्षा के आरोप प्रत्यारोप की चर्चाएं होने लगे तो इसे पार्टी की जातीय गुटबाजी का परिणाम ही कहा जाएगा। 

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संविधान मान स्तंभ कार्यक्रम में दावा है कि वैश्य समुदाय से कोई कार्यकर्ता नही था ।

9 जून 2023 को समाजवादी पार्टी जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी की संतुति और तत्कालीन अध्यक्ष नरेश उत्तम द्वारा अनुमोदित जिला कार्यकारणी घोषित होने के 442 दिन बाद समाजवादी पार्टी जिला इकाई में पीडीए की आड़ में गुर्जर समुदाय को अधिक महत्व दिए जाने और शहरी और सवर्ण समाज की उपेक्षा के दुष्परिणाम दिखाई देने लगे है ।

एनसीआर खबर ने तब भी अपने पाठकों को यह बताया था कि कार्यकारिणी में अध्यक्ष समेत 18 पदों पर गुर्जर कार्यकर्ताओं को नामित किया गया था । इनमें तीन उपाध्यक्ष,दस सचिव, एक कोषाध्यक्ष और तीन सदस्य शामिल हैं। मुस्लिम समाज से दो उपाध्यक्ष, एक सचिव और छः सदस्य बनाए गए हैं। ठाकुर समाज से दो सचिव और दो सदस्य, ब्राह्मण एक उपाध्यक्ष और एक सचिव , जाटव समाज से एक सचिव और दो सदस्य, वाल्मीकि, प्रजापति और जाट समाज से क्रमशः दो, एक और दो सदस्य बनाए गए हैं। इसी क्रम में वैश्य समाज से आने वाले एक नेता जितेंद्र अग्रवाल ने अपने को कोई पद न दिए जाने पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही कुछ कहने की कोशिश की थी जिसको समझा बूझकर शांत कर दिया गया था। (पूरा समाचार आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है )

किंतु ऐसा लगता है कि तब से मन में फंसी फांस अब 442 दिन बाद जितेंद्र अग्रवाल के दिल से बाहर आ गई है नोएडा से वैश्य समाज के एक बेनाम से संगठन की आड़ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी पर वैश्य समाज के लोगों की अनदेखी करने की बात कही है । वैश्य संगठन ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की गौतम बुध नगर जिला इकाई में जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी के नेतृत्व में वैश्य समाज के नेताओं को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है।

नोएडा के वैश्य समाज के संगठन के नाम से लिखे गए पत्र को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इसको जिले के ही समाजवादी पार्टी के वैश्य समुदाय के नेताओं ने गठित किया है इसमें राष्ट्रीय प्रधान महासचिव के तौर पर गौरव सिंघल और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के तौर पर जितेंद्र अग्रवाल के नाम दिखाई दे रहे हैं । हैरत की बात ये है कि समाजवादी पार्टी से बड़े कहे जाने विपिन अग्रवाल, बाबूराम बंसल जैसे बड़े वैश्य समाज के नेताओं के नाम इसमें शामिल नहीं है । ऐसे में कई नेताओं द्वारा इसको पश्चिम के वैश्य समुदाय की आवाज की जगह पार्टी में ही हाशिए पर पड़े दो नेताओं की हताशा भी बताया जा रहा है।

पत्र में पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जिला कार्यकारिणी को तैयार करते हुए जाति विशेष को एक तरफा तवज्जो दी गई है। दावा है कि पार्टी द्वारा ऐसे लोगों को संगठन में शामिल कर लिया गया है जो पार्टी के लिए काम करने से दूरी बनाकर चलते हैं पत्र में सुधीर भाटी की नेतृत्व क्षमता पर प्रश्न उठाते हुए कहा गया है की सुधीर भाटी अपना ही बूथ लोकसभा चुनाव में जीत नहीं पाए और जिले में स्वयं महत्वपूर्ण पद पर आसीन है ।

वही इस पूरे घटनाक्रम के बाहर आने के बाद जिले के ही एक अन्य न्यूज़ पोर्टल पंचायत 24 को दिए अपने बयान में सुधीर भाटी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वर्तमान में जितेंद्र अग्रवाल जिला उपाध्यक्ष का पद प्राप्त करने के लिए दबाव बना रहे हैं । मैने स्पष्ट कह दिया यदि आप अपने समाज के 100 लोग लेकर आते हैं तो आपको जिला उपाध्यक्ष बनने पर विचार किया जाएगा इस बयान के मीडिया में आते ही सोशल मीडिया पर सुधीर भाटी की राजनीतिक परिपक्वता पर तमाम चर्चाएं शुरू हो गई हैं । लोगों ने पूछना शुरू किया है कि क्या समाजवादी पार्टी इसीलिए जिले में प्रदेश की सबसे बड़ी हार तक पहुंच चुकी है क्योंकि यहां योग्यता से ज्यादा समाज के 100 लोगों के नाम पर पद दिए गये हैं ।

इस पत्र के यहां बाहर आने के बाद जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी की 2027 में गौतम बुद्ध नगर से चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षाओं और उनके खिलाफ हो रही साजिशें पर भी चर्चा शुरू हो गई है जानकारों की माने तो जिला सुधीर भाटी का जिला अध्यक्ष बनने के बाद जिले के ही एक बड़े नेता की सहमति नहीं थी।  किंतु 24 के चुनाव में मजबूरी में ही सही उनका साथ दिखना पड़ा। दावा है सुधीर भाटी भी 2027 में अपने टिकट को लेकर पार्टी टिकट देगी तो चुनाव लड़ेंगे कहते दिखाई दे रहे हैं।

वैश्य समाज के द्वारा सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखने जाने और जिले में शुरू हुए आरोप प्रत्यारोप के खेल के बाद एक ही चर्चा हो रही है कि क्या समाजवादी पार्टी में पीडीए की आड़ में अपनी ही जाति को आधिक महत्त्व देने के चलते बगावत के बिगुल बजने शुरू हो गए हैं या फिर जिले में चल रहे सदस्यता अभियान में अपेक्षित सफलता न मिलने के बाद पार्टी में अलग-अलग नेता अपने-अपने तरीके से पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल माहौल बनाने में लग गए हैं ।

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