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ऑपरेशन आम्रपाली एनबीसीसी : आम्रपाली मामले में बायर्स की जगह एनबीसीसी और कोर्ट रिसीवर द्वारा थर्ड पार्टी बिल्डरों को प्रोजेक्ट नीलामी से मंशा पर उठे प्रश्न, दबे स्वर में अफसर कर रहे रियल एस्टेट के सबसे बड़े घोटाले के इशारे!

आशु भटनागर । उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में 15 वर्षों से अमरपाली के 46,575 फ्लैट बायर्स को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बावजूद क्या फ्लैट मिल पा रहे हैं ? क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में कोर्ट रिसीवर के शह पर एनबीसीसी और अब नया खेल करने पर आ गए हैं ? अगर अभी तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा विभाजित ए, बी और सी कैटेगरी के बायर्स को ही फ्लैट नहीं दिए गए हैं तो फिर इन दिनों लगातार एनबीसीसी और कोर्ट रिसीवर कैसे अखबारों के माध्यम से नए फ्लैट की बिक्री की नीलामी के विज्ञापन निकाल रहे हैं । और इन विज्ञापनों के जरिए बल्क नीलामी  के बाद फिर से बिल्डर इन फ्लैट्स को फिर से मोटे मुनाफे पर मात्र मार्केटिंग के जरिए बेचकर जीएसटी और राजस्व की बड़ी चोरी करके बड़े घोटाले को अंजाम दे रहे हैं ? इन सभी प्रश्नों पर डिटेल जानकारी के लिए एनसीआर खबर ऑपरेशन आम्रपाली एनबीसीसी शुरू कर रहा है जिसके प्रथम भाग में हम कुछ तथ्यों को समझने की कोशिश करेंगे ।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 23.07.2019 के अपने निर्णय में श्री आर. वेंकटरमणी, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया है, तथा इस संबंध में निर्देश इस प्रकार हैं:
            “ (ii) नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा प्रश्नगत परियोजनाओं के लिए आम्रपाली ग्रुप ऑफ कंपनीज के पक्ष में दिए गए विभिन्न लीज डीड रद्द कर दिए गए हैं और अब से अधिकार कोर्ट रिसीवर के पास निहित हो गए हैं;
(x) हम श्री आर. वेंकटरमणी, विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ता को कोर्ट रिसीवर नियुक्त करते हैं। पट्टेदार के अधिकार कोर्ट रिसीवर में निहित होंगे और वह अपनी ओर से अधिकृत व्यक्ति के माध्यम से त्रिपक्षीय समझौते को निष्पादित करेगा और अन्य सभी कार्य करेगा जो आवश्यक हो सकते हैं और यह भी सुनिश्चित करेगा कि शीर्षक घर खरीदारों को दिया जाए और उन्हें कब्ज़ा सौंप दिया जाए ।

दरअसल आम्रपाली के 46,575 फ्लैट बायर्स के सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में इसको एनबीसीसी को पूरा करने के लिए दिया गया और नियामक के तौर पर एक कोर्ट रिसीवर की नियुक्ति भी की गई । जानकारी के अनुसार एनबीसीसी को ए, बी और सी तीन कैटेगरी में फ्लैट्स के निर्माण करने थे । श्रेणी A (Category A): इस श्रेणी में उन बायर्स को रखा गया था जिन्होंने अपने फ्लैट के लिए 95% से 100% तक का भुगतान कर दिया था और उनकी फिनिशिंग करके प्रोजेक्ट्स को पूरा कर दिया जाना था इन फ्लैट्स में लोगों ने बिना इस सीसी के ही कब्जे ले लिए थे श्रेणी B (Category B): इस श्रेणी में उन बायर्स को रखा गया था जिन्होंने अपने फ्लैट के लिए 75% से 95% तक का भुगतान कर दिया था। श्रेणी C (Category C): इस श्रेणी में उन बायर्स को रखा गया था जिन्होंने अपने फ्लैट के लिए 75% से कम का भुगतान किया था। सुप्रीम कोर्ट ने NBCC (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन) को इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का जिम्मा सौंपा था। NBCC ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इन तीनों कैटेगरी की 46,575 आवासीय इकाइयों को पूरा करने के लिए लगभग 8,500 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। सुप्रीम कोर्ट का मुख्य जोर यह था कि पहले A कैटेगरी के बायर्स को उनके फ्लैट दिए जाएं, फिर B और C कैटेगरी के बायर्स को। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार और प्राधिकरणों के दावों का निपटारा भी बाद में किया जाएगा। 

किंतु एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार अब तक मात्र 10000 फ्लैट्स को डिलीवर करने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में बड़ा प्रश्न ये है कि एनबीसीसी बाकी फ्लैट को अगले कितने दशक में डिलीवर करेगा । यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि सभी 42000 फ्लैट की डिलीवरी से पहले ही एनबीसीसी ने कोर्ट रिसीवर के निर्देशन या जानकारी के बिना पहल करते हुए बची हुई जमीन पर बड़े हुए फिर के साथ नए फ्लैटों के निर्माण और उनको बेचने की तैयारी कर ली है ।

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नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट जैसी जगह में प्राइम लोकेशन पर बनाए जा रहे लगभग 15000 फ्लैटों के खेल के पीछे कौन लोग हैं यह प्रश्न अभी तक अनसुलझा है किंतु इन फ्लैट्स को बल्क नीलामी के जरिए लगातार बिल्डरों को बेचा जा रहा है एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार लगभग ₹3000 प्रति स्क्वायर फीट की कीमत के फ्लैट्स को नीलामी में 7000 के आसपास एनबीसीसी द्वारा बेचा जा रहा है और नीलामी के बाद सिर्फ मार्केटिंग में पैसा लगाने वाले बिल्डर इसको 9 से 12500 के बीच मार्केट में अपने ब्रैंड के लोगों को लगाकर बेच रहे हैं।  इन फ्लैट्स में अभी तक टैकजोन 4 में एस्पायर को गौर बिल्डर और ग्रेट वैल्यू और यथार्थ अस्पताल अस्पताल द्वारा बेचा जा रहा है ।

पूरे प्रकरण में आम्रपाली के हजारों बायर्स अलग से सड़क पर उतर आए हैं जिन्होंने आरोप लगाए हैं की 80%, 90%, 100% और कई जगह 120% तक पैसा देने के बाद उनके प्लॉट कैंसिल कर दिए गए ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट बायर्स की लड़ाई लड़ने वाली सबसे बड़ी संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने आरोप लगाए है कि वर्तमान भारत के अधिकार को छीन कर एनबीसीसी नए फ्लैट के नाम पर बड़ा खेल कर रहा है ।

हैरानी की बात यह है कि इन फ्लैट्स पर एनबीसीसी और बिल्डर दोनों ही लगभग ₹3000 प्रति स्क्वायर फीट का मोटा मुनाफा ले रहे हैं जबकि पूरे प्रकरण में ना तो जीएसटी दिया जा रहा है ना ही रजिस्ट्री पर कोई शुल्क दिया जा रहा है। दरअसल अगर एनबीसीसी बिल्डर को बल्क सेल भी कर रही है तो भी वह बिल्डर को हस्तांतरित होने चाहिए और इसका कोई रिकॉर्ड राजस्व विभाग के पास होना चाहिए किंतु एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार ऐसा कुछ नहीं किया गया है सब कुछ एक पेपर पर एमओयू एग्रीमेंट के बाद बेचने के अधिकार दे देने जितना आसान बना दिया गया है।

किसी भी रियल स्टेट के फ्लैट्स को बेचने का की प्रक्रिया को समझना आवश्यक है अगर आप एक बिल्डर हैं और आप किसी को अपना प्रोजेक्ट बेचते हैं तो उसमें रजिस्ट्री के समय आपको रजिस्ट्री का शुल्क देना पड़ता है जिसको जिसका राजस्व केंद्र सरकार और राज्य सरकार को जाता है किंतु एनबीसीसी नीलामी के बाद इन बिल्डर को फ्लैट्स देने के बाद न उनके नाम पर रजिस्ट्री कर रहा है और न ही इसको लेकर जीएसटी दे रहा है । फिर वह बिल्डर इसकी मार्केटिंग करते हुए नए सिरे से रजिस्ट्री कर रहे हैं या फिर इसमें बड़ा खेल करते हुए एनबीसीसी मात्रा बिल्डर को नीलामी के नाम पर मार्केटिंग राइट्स दे दे रहा है और और बायर्स दरअसल एनबीसीसी से ही फ्लैट को पहली बार खरीदेगाI इस पुरे खेल का एक पहलु ये भी है कि नीलामी में फ्लैट्स खरीदने वाले बिल्डर को पैसा कंस्ट्रक्शन लिंक के साथ देना है, और पैसा उसको तब भी देना है अगर वो फ्लैट नहीं बेच पाता है I ऐसे में अगर पहली कुछ क़िस्त अपनी जेब से भरने के बाद बिल्डर इन प्रोजेक्ट से पीछे हट जाता है तो ये फिर आम्रपाली में एक नया खेल हो जाएगा और आने वाला नया बायर भी फंस जाएगा I अगर ऐसा है तो फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में क्या एनबीसीसी किसी बड़े घोटाले को अंजाम देने में लग चुका है ।

रोचक तथ्य ये भी है  इस पूरे प्रकरण में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अमरपाली प्रोजेक्ट्स में आम्रपाली को मात्र 10 प्रतिशत एडवांस पर भूमि देने वाल नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी पूरी पिक्चर से बाहर है । जबकि जेपी एसोसिएट्स के मामले में यमुना प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट ने बची हुई जमीन वापस लेकर नए फ्लैट्स बनाने की अनुमति दिए ऐसे में एक प्रश्न यह भी है कि जिस एनबीसीसी को सिर्फ फ्लैट्स को पूरा करने का काम दिया गया है आखिर वह उसको पूरा किए बिना बढ़े हुए एफएआर के साथ नए फ्लैटों के निर्माण के खेल में कैसे लग गया है । आखिर बची हुई जमीन को नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को वापस करने की जगह उसे पर नए फ्लैट्स बनाकर मोटे मुनाफे के इस घोटाले को किसने शुरू किया है ।

एनसीआर खबर “ऑपरेशन आम्रपाली एनबीसीसी” में नए तथ्यों और नई जानकारी पर इस सीरीज को आगे भी प्रकाशित करेगाI अगर आम्रपाली के किसी बायर्स के पास कोई जानकारी है तो वह हमें हमारे नंबरों पर व्हाट्सएप या ईमेल करके दे सकता है I एनसीआर खबर बायर्स या सुचना देने वाले का नाम उसके कहने के बाद ही प्रकशित करेगाI

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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