नोएडा प्राधिकरण में सीईओ लोकेश एम की निगाहें भू माफियाओं और उनके द्वारा भेजी गई बनाई गई अवैध कमर्शियल बिल्डिंग पर टेढ़ी हो गई है लोकेश एम ने सेक्टर 49 के साथ लगे बरौला गांव गाँव के खसरा नंबर 442,443,444 और 445 में भू माफियाओं द्वारा किए गए निर्माण पर कार्यवाही करते हुए उन बिल्डिंग पर बड़े-बड़े शब्दों में यह बिल्डिंग अवैध है लिखवा दिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इन बिल्डिंगों को गिराने के लिए बुलडोजर यहां लाया जा सकता है दरअसल अधिकारियों की मिलीभगत से इन बिल्डिंगों पर पहले बस पोस्टर चस्पा किए गए थे जिनको इन बिल्डिंगों के मालिकों ने फाड़ कर दोबारा रंग रोगन करवा दिया था जिसके बाद लोकेश एम की फटकार के बाद प्राधिकरण के अधिकारियों की नींद खुली और उन्होंने फिर यह कड़े कदम उठाए ।
नोएडा की तरह ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के अंतर्गत भी तमाम अवैध कालोनिया काटी जा रही हैं इन कॉलोनी को इनके विज्ञापनों में सही बताया जाता है। जिन पर बैंक से लोन दिखाया जाता है ।
भूमाफियाओं का एक बड़ा सिंडिकेट इसके लिए,ग्रेटर नोएडा और जेवर में भी काम कर रहा है। ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या, युपीसीडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले बन रही अवैध कॉलोनी और भूमाफियाओं पर कोई शिकंजा नोएडा की तरह कसा जाएगा?
क्या बन चुकी अवैध कॉलोनीयों को तोड़ने का कार्य शुरू किया जाएगा या फिर यह प्राधिकरण अपनी बेबसी का रोना मुख्यमंत्री के समक्ष रख देंगे और कहेंगे कि हम इन अतिक्रमणों को हटा नहीं सकते हैं क्योंकि इन पर अब लोग रह रहे हैं।
प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इन प्राधिकरणों की जमीन पर भारी विदेशी इन्वेस्टमेंट के लिए जमीन की पहले से ही कमी है और जो जमीन प्राधिकरण ने एक्वायर की हैं उन पर भूमाफियाओं द्वारा कालोनियां काट दी गई है ऐसे में अगर यह जमीन खाली नहीं कराई गई तो उत्तर प्रदेश में बताया गया भारी इन्वेस्टमेंट किस तरीके से मूर्त रूप लेगा?