राजेश बैरागी I उत्तर प्रदेश के औद्योगिक एवं अवस्थापना विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने मंगलवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यों की लगभग तीन घंटे तक समीक्षा करने के बाद मीडिया से वार्ता की। माननीय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और माननीय मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व का धन्यवाद करने के बाद कम शब्दों में उन्होंने जो कुछ कहा वह बहुत अर्थपूर्ण था।
उन्होंने एक वास्तविक घटना का काल्पनिक उदाहरण देते हुए बताया कि किसी बड़े प्रोजेक्ट के नक्शे को प्राधिकरण ने केवल इसलिए पास नहीं किया क्योंकि आवंटित भूखंड में पांच मिलीमीटर भूमि अधिक आ रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे ही अन्य भूखंड का नक्शा पास कर दिया गया। मंत्री ने ऐसा करने वाले प्राधिकरण कर्मियों को किसी भी दशा में न बख्शने का संकेत दिया। हालांकि प्राधिकरण में आज किसी कर्मी को निलंबित करने अथवा बर्खास्त करने का समाचार नहीं मिला। आखिर यह नक्शे को पास नहीं करने का मामला क्या है?
क्या प्रश्नगत भूखंड किसी ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति का है? हम केवल अनुमान लगा सकते हैं परंतु यह सच है कि प्राधिकरण में इसी प्रकार की छोटी मोटी आपत्तियां लगाकर फाइलों को घुमाया जाता है। प्राधिकरण के नियोजन विभाग में स्थाई और संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों द्वारा ऐसा किया जाना कोई नया नहीं है। वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी अपने मातहतों को अपनी यह आदत बदलने की कई बार चेतावनी दे चुके हैं।
सच्चाई यह है कि प्राधिकरण कर्मी मंत्री जी की धौंस दिखाकर काम कराने वाले लोगों से खुश नहीं हैं। इसलिए आपत्ति लगाकर मामले को लटकाने का प्रयास किया जाता है। परंतु वैसे ही दूसरे मामले में नक्शा पास हो जाने का मामला उनके गले की हड्डी बन गया। मंत्री जी ने प्रेस वार्ता में मौजूद प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी को उपेक्षा न करने का स्पष्ट संदेश दिया। समीक्षा बैठक तो संभवतः बहाना था।