राजेश बैरागी । नोएडा से चलकर ग्रेटर नोएडा के पश्चिमी हिस्से में मेट्रो कब आयेगी? यह प्रश्न सलमान खान की शादी जितना गंभीर हो चला है और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ग्रेटर नोएडा वेस्ट की फिजाओं में फिर तैरने लगा है।
क्या नोएडा से ग्रेटर नोएडा वेस्ट तक मेट्रो चलाने और लोकसभा चुनाव का कोई अंतर्संबंध है?यह नीति नियंताओं और अधिकारियों की कारगुजारी ही है कि नोएडा से ग्रेटर नोएडा के लिए पांच वर्ष पहले शुरू की गई एक्वा मेट्रो का आधा रूट अभी भी खाली चल रहा है। जबकि नोएडा से ग्रेटर नोएडा पश्चिम के लिए मेट्रो रूट तैयार करने की कवायद कम से कम दस साल से चल रही है।इसे नॉलेज पार्क 5 तक आना है।
महापोल : ग्रेनो वेस्ट में फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री और मेट्रो लाने के लिए आपको लोकसभा के किस संभावित प्रत्याशी से उम्मीद हैं #NCRKhabar #PeopleVoice #KyaHuaMetroKaWada #KabAayegiMetroInGrenoWest @dr_maheshsharma @nawabsnagar @rajkumarbhatisp @BNSinghIAS
— NCRKHABAR (@NCRKHABAR) November 27, 2023
इस बीच दोनों शहरों की पूर्वी और पश्चिमी सीमाएं मिलकर एकाकार हो चुकी हैं और वहां दस बारह लाख से अधिक लोग निवास कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश नौकरी व व्यवसाय के सिलसिले में रोजाना नोएडा दिल्ली आते जाते हैं। कोई सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था न होने से लोग या तो निजी वाहनों से चलते हैं या ऑटो, ई-रिक्शा जैसे वाहनों में खिचड़ते हैं।इतनी बड़ी आबादी को मेट्रो की सुविधा कभी की मिल जानी चाहिए थी।
मुझे याद पड़ता है कि नौ वर्ष पहले 2015 की जनवरी में नोएडा से ग्रेटर नोएडा पश्चिम के मेट्रो रूट के पिलर्स के लिए मिट्टी की जांच की गई थी।तब से अब तक दो बार लोकसभा और दो ही बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं। चारों चुनावों में भाजपा को ही जीत हासिल हुई है। इस मेट्रो का निर्माण नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को करना है जो नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के मिले जुले स्वामित्व में है। अनेक बार इस रूट के लिए योजना और डीपीआर पर बात हो चुकी है। चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी हर बार यहां मेट्रो चलवाने की कसमें खाते हैं और वादा करते हैं, फिर भूल जाते हैं।
कल रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट में होम बायर्स संगठन नेफोवा ने अपने नेता अभिषेक कुमार के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। आगामी 10 दिसंबर को यह संगठन दिल्ली जंतर-मंतर पर जाकर भी मेट्रो के लिए आवाज उठाने की घोषणा कर रहे हैं। परंतु भाजपा के सांसद विधायक से इस संबंध में सवाल पूछने को कोई तैयार नहीं है। आगामी लोकसभा चुनाव आने तक यह मेट्रो मुद्दा गरमाये रहने की संभावना है। उसके बाद? मेट्रो की बात बने या न बने, चुनाव तो होंगे ही।