राजेश बैरागी I क्या भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में अधिकांश सीटों पर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों की भांति बिल्कुल नये चेहरों को प्रत्याशी बना सकती है? यह प्रश्न कल 31 जनवरी को देशभर में प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कार्यालय खोले जाने से उत्पन्न हुआ है जबकि एक भी प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया गया है।
आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को पिछले दो चुनावों 2014 और 2019 से भी अधिक महत्वपूर्ण मानकर चल रही भाजपा ने अग्रिम मोर्चेबंदी शुरू कर दी है।पूरे देश की सभी लोकसभा सीटों को 146 क्लस्टर में बांट दिया गया है। एक क्लस्टर में अमूमन पांच लोकसभा सीटें रखी गई हैं। प्रत्येक क्लस्टर पर एक वरिष्ठ नेता को प्रभारी नियुक्त किया गया है।कल 31 जनवरी को सभी लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव कार्यालय खोल दिए जाएंगे। जबकि समूचा विपक्ष नये गठबंधनों को बनाने और एक दूसरे को हैसियत बताने में उलझा हुआ है, भाजपा अपना काम कर रही है।लाल सेनाओं सरीखे ‘इस बार चार सौ पार’ के नारे के साथ साथ ‘पहले से अधिक वोटों’ से जीतने का लक्ष्य भी रखा गया है। परंतु पहले से अधिक वोटों से जिताना किसे है? इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं है।
कपिल अग्रवाल गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद,मेरठ, बागपत और बुलंदशहर लोकसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाए गए क्लस्टर प्रभारी हैं। उन्होंने जिले के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों, विधायकों, विधानपरिषद सदस्यों आदि को चुनाव में जुट जाने का निर्देश दिया। परंतु उन्हें भी प्रत्याशी के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया। गौरतलब है कि गौतमबुद्धनगर समेत सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा की ओर से अभी किसी भी प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया गया है। कुछ बड़े नेताओं को छोड़कर शेष सभी सीटों पर वर्तमान पार्टी सांसदों को पुनः प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर संशय बना हुआ है।
‘मौजूदा से नाखुशी’ को आधार बनाकर किसी भी वर्तमान सांसद का टिकट काटा जा सकता है। पहले भी पार्टी ऐसा करती रही है। इसी उहापोह को लेकर वर्तमान सांसदों के साथ टिकट के लिए प्रयासरत दावेदारों और पार्टी कार्यकर्ताओं में कौतूहल बना हुआ है।कल भाजपा जिला कार्यालय से निकलते हुए एक कार्यकर्ता कह रहा था, पहले यह तो बता दो कि किसे पहले से अधिक वोटों से जिताना है।