पंजाब बंगाल और बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद सामने आने लगे हैं। समाजवादी पार्टी द्वारा चतुराई दिखाते हुए 11 सीट कांग्रेस को देकर गठबंधन बनाने के दाव से उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ता बेहद आहत है। यद्यपि कोई सामने आकर बोलने को तैयार नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी इस शीर्ष नेतृत्व से बातचीत कहकर छोड़ दिया है किंतु अंदर खाने का समाचार ये है कि कांग्रेस का बड़ा धड़ा इस गठबंधन को जारी रखने के पक्ष में नहीं है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति की समझ रखने वाले कांग्रेसी अब कह रहे है काँग्रेस को ये चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ नहीं लड़ना चाहिए । प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि समाजवादी पार्टी का बेस वोटर राम मन्दिर और मोहन यादव की लहर में भाजपा को वोट करेगा,जब अखिलेश के पास बेस वोटर ही नहीं हैं तो गठबंधन कैसा?
मुस्लिम वोटो की दावेदारी पर भी कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनावो में कांग्रेस ही बीजेपी को देश भर में टक्कर दे सकती है ऐसे में मुस्लिम एक तरफा काँग्रेस के साथ हैं और वो गठबंधन को सिर्फ काँग्रेस की वजह से वोट करेगा।
कांग्रेस के नेता यह भी दावा कर रहे हैं कि अगर कांग्रेस अखिलेश यादव के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन करती है वो समाजवादी पार्टी को 2027 के लिए आक्सीजन दे देगी, जो कांग्रेस के लिए ही घातक होगा । अखिलेश यादव गठबंधन में सिर्फ अपना वोट शेयर बचाने के लिए हैं क्योंकि वह भी जानते हैं अगर अकेले लड़े तो 3% पर आ जाएंगे ।
कांग्रेस के तमाम नेता भी ये मान रहे हैं कि अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अकेले लड़ती है तो सीटों पर भले ही बहुत प्रभाव न दिखे किंतु प्रदेश कांग्रेस कैडर के तौर पर और वोट प्रतिशत में मजबूत होगी जिसके जरिए 2027 में उत्तर प्रदेश में बड़े विपक्ष के तौर पर कांग्रेस को स्थापित किया जा सकता है।
ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश में भी अकेले या फिर बीएसपी के साथ चुनाव लड़ता हुआ दिखाई दे सकता है।