ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सेक्टर 1 स्थित फुट ओवर ब्रिज प्रकरण में अपनी मर्जी से स्थान परिवर्तन पर सीईओ द्वारा ब्लैकलिस्ट करने की कड़ी कार्रवाई के बाद जिले में मौजूद सभी कंपनियों ने एक साथ मिलकर प्राधिकरण के अन्य टेंडर का बहिष्कार कर दिया है।
सोशल मीडिया में आई जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने शहर में आठ जगह ब्रिज बनाने के लिए निविदा जारी किए थे जिनमें पांच फोटो पर ब्रिज के लिए वेंडर चयनित किए गए थे किंतु तीन फुट ओवर ब्रिज बनाने के लिए बोली लगाने वाली कंपनियां की कमी के कारण उसकी निरस्त कर पुनः जारी की गई । दूसरी बार जारी निविदा में कम रेवेन्यू की बोली की वजह से निरस्त कर दी गई । इसके बाद प्राधिकरण ने तीसरी बार 5 फरवरी को इनके लिए निविदा जारी की जिसमें एप्लीकेशन की आखिरी तारीख 19 फरवरी थी और 20 तारीख को इनको खोल जाना था जानकारी के अनुसार प्राधिकरण द्वारा अपनी मर्जी से स्थान परिवर्तन करने वाले वेंडर को ब्लैक लिस्ट करने के विरोध में बाकी कंपनियों ने वाकआउट कर लिया।
इस तरीके की सूचना आने के बाद लोगों ने कहा कि यह कदाचित प्राधिकरण में मौजूद माफिया द्वारा सीईओ को ब्लैकमेल करने की कोशिश है इन कंपनी को लगता है कि प्रेशर बनाने के लिए अगर वाकआउट कर देंगे तो भ्रष्टाचार करने का अधिकार मिल जाएगा ।
एक अन्य निवासी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अब दिल्ली एनसीआर के बाहर के वेंडर्स को लाने की जरूरत है क्योंकि कंपटीशन समाप्त होने की स्थिति में ठेकेदार मनमानी करने लगे हैं। ग्रेनो प्राधिकरण में पहली बार किसी सीईओ ने भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की कोशिश की है उसका विरोध इस तरीके से होने की पूरी अपेक्षा है
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार जिले में आउटडोर मीडिया के लिए काम करने वाले लोग एक ही सिंडिकेट का हिस्सा है। वह 4 से 5 कंपनियां बनाकर अलग-अलग बोली लगाते रहते हैं इससे जहां एक और प्राधिकरण को उन्हें में से किसी एक को चुनने की मजबूरी होती है वहीं दूसरी ओर प्राधिकरण को रेवेन्यू का भी नुकसान होता है इसी क्रम में इन तीन ब्रिज की निविदा तीन बार कैंसिल हुई और आखिर में सिंडिकेट ने पूल कर अपनी सभी एप्लीकेशंस वापस ले ली ।