राजनीति में नेता बनना जितना आसान काम है उतना ही नेताओं का अपने समर्थकों के बीच समन्वय बनाकर रखना मुश्किल है । ऐसा ही मामला इन दिनों जिले के सबसे बड़े नेताजी के साथ देखा जा रहा है मामला उनके राजनीतिक सलाहकार और नए-नए खास बने एक ब्राह्मण नेता के बीच का है।
नोएडा की स्थानीय राजनीति में तेजी से अपना वजूद बनाने वाले ये नेता यूं तो नोएडा प्राधिकरण में ठेके लेने और 6% के प्लाटों के एडजस्टमेंट के लिए कुख्यात रहे है पर अब पुरे शहर के प्यारे है राजदुलारे है I चर्चा है कि कभी शहर के ही एक बड़ी मूंछ वाले नेता को हटाने के लिए लाए गए इस नेता ने इन दिनों पूरे शहर के आरडब्ल्यूए की बड़ी संस्था कब्जा कर लिया है । और रोचक तथ्य ये है कि कभी मूंछ वाले नेताजी को हटाने के लिए लाने वाले राजनीतिक सलाहकार ही इन दिनों चेयरमैन को हटाने की मुहिम भी चलाए हुए हैं और इसी को लेकर दोनों नेताओं के बीच लगातार खेल चल रहा है । किंतु इस बार राजनीति के आगे धननीति हावी है और धननीति की महिमा देखिए वो विरोध करते रह गए और ये मौका देखते ही समाजवादी पार्टी से भाजपा में आ गए हैं अब ऐसे में एक तरफ भाजपा की राजनीति है और एक तरफ भाजपा के ही छत्रपों की शहर में आर डब्ल्यू ए की राजनीति है ।
जिले के सबसे बड़े नेता जी की समस्या यह है कि वह ना तो अपने राजनीतिक सलाहकार को कुछ कह सकते हैं और ना ही ब्राह्मण समाज से आने वाले इस नए अध्यक्ष को कुछ कह सकते हैं । लोगो में तो ये भी चर्चा है नेताजी के एफिडेविट के अनुसार उन्होंने ब्राह्मण समाज के इस नेता से या तो कुछ लाख रुपए लोन लिया हुआ हैं या फिर कुछ लाख रुपए लोन दिए हुआ है ।
खैर इन दोनों की नई लड़ाई का मामला अब सेक्टर 34 की एक RWA के अंतर्गत आने वाले कम्युनिटी सेंटर को लेकर खिंच गया है फिलहाल राजनीतिक सलाहकार लगातार पूछ रहे हैं कि ऐसी कौन सी यूनिवर्सिटी है जो समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता को अचानक भाजपा नेता बना देती है । इसके साथ नया आरोप भी लगा रहे हैं कि अध्यक्ष के महासचिव की आरडब्ल्यूए के कम्युनिटी सेंटर में बड़ा घोटाला चल रहा है उन्होंने एक वीडियो वायरल करते हुए आरोप लगाए कि यहां एडवांस में फर्जी नाम पर बुकिंग चल रही हैं पुरानी बुकिंग करने आए लोगों के डॉक्यूमेंट लगाकर किसी ठेकेदार को लगातार कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया है और जो लोग जेनुइनली बुकिंग करने पहुंच रहे हैं उनको कम्यूनिटी सेंटर नहीं मिल रहा है अब ऐसे में समस्या यह है कि ठीक चुनाव के समय नेताजी के दो खास लोगों के बीच बनी है लड़ाई नेताजी को तो कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा रही लेकिन लोगों के बीच में जरूर चर्चा का विषय बना रही है।
अब हम तो यही कहेंगे की नेता होने का मतलब ही चर्चा होना है चाहे वह काम करके आए या घोटाला करके आए और राजनीतिक सलाहकार को सलाह भी देंगे की भैया धन नीति के आगे राजनीतिक इन दिनों कमजोर पड जाती है इसलिए जिनको तीन बार से ना हरा पाए उसके आगे लड़ने से कोई फायदा नहीं या तो चुनाव में अबकी बार उसके सामने कोई बढ़िया कैंडिडेट लाना और नहीं तो जो है उसी से काम चलाना । बड़े-बड़े ट्रकों के पीछे अक्षर लिखा होता है दम हो तो पार कर नहीं तो बर्दाश्त कर और छोटी कार वालों को उसे पार करने की हिम्मत नहीं करनी चाहिए।