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“मौत, माफिया और सियासत” रवि काना के 40 राजदारो के नाम सामने आए तो मचा कोहराम, खुलासे से पुलिस भी हो रही हैरान

आशु भटनागर । उत्तर प्रदेश में राजनीति, माफिया, पुलिस और पत्रकार के संबंधों पर अक्सर कई बातें लिखी जाती है । राजनीति के अपराधीकरण और बाहुबलियों के प्रयोग में पुलिस और पत्रकारों का मिल जाना बीते 30 वर्षों की राजनीति में आम बात हो चुकी है। 2006 में वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसी ही घटनाओं पर ‘ मौत माफिया और सियासत’ के नाम से किताब लिखी और इन दिनों उसका जिक्र गौतम बुद्ध नगर के स्क्रेप माफिया रवि काना की थाईलैंड से की गई गिरफ्तारी के बाद हो रहा है।

दरअसल गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में रवि काना ने नोएडा पुलिस को अपने साथियों के जो नाम बताएं हैं उसके बाद पुलिस के होश उड़ गए हैं पुलिस सूत्रों के अनुसार इस लिस्ट में खाकी, खादी, अधिवक्ता, जज और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के कई रसूखदार लोगों के नाम शामिल है।

फिलहाल गौतम बुद्ध न्यायालय में रवि और काजल की पुलिस कस्टडी की रिमांड को लेकर बहस चल रही है नोएडा पुलिस ने 5 दिन की डिमांड मांगी है अगर न्यायालय पुलिस रेमंड दे देता है तो पुलिस कमिश्नर द्वारा बनाई गई स्पेशल टीम दोनों से पूछताछ करेगी और अब तक मिली जानकारी को सत्यापित करेगी।

पुलिस के अनुसार रवि काना ने कई नाम बताए हैं जिनमे  कई आईएएस आईपीएस बड़े नेता पत्रकार और जज तक रवि काना को संरक्षण दे रहे थे । नोएडा पुलिस ने इन सभी नाम की लिस्ट तैयार करके शासन को भेज दी है पुलिस सूत्रों की माने तो अगर शासन को भेजी गई इस लिस्ट पर कार्यवाही करें जाने की हरी झंडी मिली तो यूपी की राजनीति में भूचाल आ जाएगा गौतम बुद्ध नगर में बीते 20 वर्षों में रहे कई रसूखदार लोगों को जेल की हवा खानी पड़ेगी ।

रसूखदारों के नाम के कारण रवि कान्हा को हुई अपनी मृत्यु की आशंका

सूत्रों की माने तो रवि काना ने जो नाम पुलिस को बताएं हैं अगर उन पर शासन ने कार्यवाही के निर्देश नहीं दिए तो वह रवि कान्हा की हत्या की साजिश भी कर सकते हैं । राजनीतिक में बाहुबलियों के प्रयोग और उनका उपयोग कितने दिन तक करना है इसकी एक लिमिट हमेशा तय रही है अगर किसी बाहुबली के कारण राजनेताओं या रसूखदारों की गर्दन फसती है तो अक्सर देखा गया है कि ऐसे प्रकरण में ऐसे बाहुबलियों की हत्या तक हो जाती है और अब रवि काना को इसी बात का डर सता भी रहा है।

बताया जा रहा है कि फिलहाल तो रवि काना के आका उसकी जेल से लेकर बेल तक की व्यवस्था में जुटे हैं।सूत्रों का दावा है कि रवि काना के कुछ गुर्गों ने उसके जेल जाने से पहले ही जेल प्रशासन से सेटिंग की है। जिस जेल में रवि काना बंद है वहां पर उसके विरोधी गैंग के भी कुछ लोग बंद है। पुलिस को जेल में भी गैंगवार की आशंका है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसी गैंगवार की आशंका का फायदा उठाकर कुछ ताकतवर अधिकारी रवि काना या काजल की हत्या करवा सकते हैं।

कौन है गैंगस्टर रवि काना और कैसे बना स्क्रैप माफिया?

एक दशक पहले तक रवि काना छोटे मोटे काम किया करता था। साल-2014 में छोटे भाई और गैंगस्टर हरेंद्र प्रधान की हत्या के बाद रवि काना पूरी तरह जुर्म की राह पर आ गया। उसने लोगों में भय पैदा करके जबरन ट्रकों से सरिया उतरवा कर कंपनियों में सप्लाई करना शुरू कर दिया।  इसी बीच वह नामी गैंगस्टर अनिल दुजाना के संपर्क में आया और उसका दाहिना हाथ बन गया। बाद में जब अनिल दुजाना पुलिस मुठभेड़ में मारा गया तो अपराध की दुनिया में वह तेजी से  ऊपर बढ़ने लगा। बताया तो ये भी जा रहा है कि कई पुलिसकर्मी भी रवि काना का साथ दे रहे थे. जिस वजह से उसे पकड़ना मुश्किल हो गया था I इनके अलवा कई सफ़ेद पोश राजनेता, पत्रकार , अधिवक्ता भी इसके काले कारोबार में साथी बन चुके थे I

करीब आठ साल पहले दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स क़ॉलोनी में रहने वाली युवती काजल झा रवि काना के पास नौकरी के लिए आई थी। उसे गिरोह में नौकरी के लिए रखा गया। बाद में यही युवती रवि काना की खास भरोसेमंद बन गई। बताया जा रहा है कि काजल रवि को उसके काले कारोबार में सलाह मशविरा देने लगी। साथ ही उसके काले कारनामों में भी बराबर की भागीदार रही। यह बात पुलिस ने अदालत में दाखिल की 500 पन्नों की चार्जशीट में भी कही है। 

एक छोटी सी घटना से उजड़ा रवि काना का अपराधिक साम्राज्य

भारत के इतिहास में महिलाओं के शोषण आम बात हैं किंतु इस देश के सभी बड़े युद्ध महिलाओं के ऊपर किए गए शोषण और उसके विरोध के बाद लड़े गए बड़े-बड़े साम्राज्य एक महिला के कारण समाप्त हो गए रवि काना की कहानी भी इससे अलग नहीं है । वर्षों से अपना अखंड आपराधिक साम्राज्य चला रहा रवि काना का बुरा समय तब शुरू हुआ जब थाना सेक्टर 39 में उसके एवं उसके साथियों के विरुद्ध एक दलित युक्ति ने गैंगरेप का मुकदमा 31 दिसंबर 2023 को दर्ज कराया । युवती ने आरोप लगाया था कि उसे नौकरी दिलवाने के बहाने एक मॉल की पार्किंग में ले जाया गया, जहां गैंगरेप किया गया

बताया जाता है कि पुलिस में रवि काना के सूत्र इतनी मजबूत थे की रिपोर्ट लिखवाते ही उसकी जानकारी रवि काना को हो गई और 1 जनवरी 2024 को वह रविंद्र के नाम से थाईलैंड चला गया इसके अगले ही दिन 2 जनवरी को उसकी महिला मैनेजर काजल एवं पत्नी मधु नागर भी थाईलैंड चले गए थाईलैंड से उनकी वापसी की टिकट 15 जनवरी की थी किंतु वह नहीं लौटा और वहां पर बिना वीजा के चोरी छुपे रहने लगा थाईलैंड में उसके रुकने का इंतजाम दिल्ली एनसीआर के ही एक व्यक्ति ने कराया था बाद में नाटकीय घटनाक्रम के चलते रवि की पत्नी मधु ग्रेटर नोएडा वापस आ गई और उसी के बाद पुलिस ने थाईलैंड के उस नेटवर्क पर काम करना शुरू कर दिया और थाईलैंड पुलिस के संपर्क साध कर नोएडा पुलिस ने रवि काना और उसकी महिला मैनेजर काजल को गिरफ्तार कर लिया।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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