रविवार की सुबह साढ़े सात बजे का समय था। जामा मस्जिद के आसपास के मोहल्लों में चहलकदमी कम थी। अधिकांश लोग घरों में थे। इसी दौरान किसी ने अफवाह फैला दी कि सर्वे करने वाली टीम मस्जिद के अंदर खुदाई कर रही है। इसके बाद भीड़ जुटने लगी और देखते ही देखते लोग मस्जिद के बाहर तैनात पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। अफवाह की चिंगारी ऐसी भड़की कि हजारों की संख्या में लोग जामा मस्जिद के बाहर जुट गए। साढ़े आठ बजे तक भीड़ बेकाबू हो गई और मस्जिद में घुसने का प्रयास करने लगी। पुलिस टीम ने भीड़ को रोका तो लोगों ने मस्जिद को घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया। सड़क के साथ ही घरों की छतों से पुलिस पर पत्थर बरसने लगे। पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज कर दिया और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद भी भीड़ नियंत्रित नहीं हो सकी। लोगों का कहना है कि पुलिस की ओर से भी फायरिंग की गई। जबकि मुरादाबाद रेंज के कमिश्नर का कहना है कि छतों से फायरिंग की गई ।
करीब नौ बजे पुलिस ने घेराबंदी कर सर्वे टीम को मस्जिद से बाहर निकालकर थाने तक सुरक्षित पहुंचा दिया। सूचना पर शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के थानों और दूसरे जनपदों की फोर्स भी बुला ली गई।
इस पूरी घटनाक्रम को लेकर देश की राजनीति में एक उबाल आ गया है एक बार फिर से लोगों के मन में 2002 के गोधरा कांड की यादें ताजा हो गई हैं गोधरा कांड में आई आखिरी रिपोर्ट के अनुसार वहां पर भी ट्रेन में आ रहे भक्तों के द्वारा लड़की को छेड़ने और मारपीट की घटना को की अफवाह फैलाई गई । जिसके बाद आसपास के क्षेत्र से भीड़ को बुला लिया गया और परिणाम स्वरूप लोगों ने वह ट्रेन जला दी जिसमें 59 हिंदू महिलाओं ओर बच्चों की मृत्यु तक हो गई थी । इसी बात को लेकर अब यह प्रश्न पूछा जा रहा है कि क्या गोधरा की तरह संभल में भी सुनियोजित दंगों की प्लानिंग चल रही थी और यदि यह चल रही थी तो इसको अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड कौन था ?
प्रश्न यह भी है की संभल से लेकर मुरादाबाद तक पुलिस विभाग और उसकी खुफिया विभाग इसको लेकर कोई जानकारी क्यों नहीं जुटा सका क्या सर्वे को लेकर प्रशासन ने दंगाइयों की साजिशों को हल्के में लिया या फिर वह मानकर चल रहे थे कि सर्वे के मामले पर दंगाइयों द्वारा कोई साजिश नहीं की जाएगी। मामला बिगड़ तो संभल में इंटरनेट को बंद कर दिया गया साथ ही 1 दिसंबर तक बाहर से आने वाले किसी भी व्यक्ति के आने पर रोक लगा दी गई है ।
संभल हिंसा पर आरम्भ हुई राजति, विपक्ष ने सरकार पर फोड़ा ठीकरा
संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा व आगजनी के लिए विपक्ष ने सरकार को दोषी ठहराया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि उपचुनाव में वोटों की लूट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सरकार ने संभल में बवाल करा दिया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने संभल की घटना पर कहा कि भाजपा नफरत की राजनीति फैला रही है। संभल की जामा मस्जिद में जानबूझकर सर्वेक्षण के लिए टीम भेजी गई, जिससे लोगों में गुस्सा व नफरत फैले। वही उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संभल की घटना के संदर्भ में समाजवादी पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा कि उसका न्यायपालिका में विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा कि एएसआइ की टीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वेक्षण करने गई थी। सपा को न तो निर्वाचन आयोग पर भरोसा है और न ही संवैधानिक संस्थाओं पर। संभल के घटनाक्रम ने साबित कर दिया है कि उसे न्यायपालिका पर भी विश्वास नहीं है।