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बेलाग लपेट : 5 वर्ष बाद भी नोएडा पुलिस कमिश्नरेट में नहीं बदल रही पुलिस की कार्यशैली! घटनाओं के खुल जाने पर अधिकारियो पर कार्यवाही से अधिक महत्वपूर्ण है पुलिस का पीडितो में अन्याय को सुने जाने और सही कार्यवाही का विश्वाश होना

आशु भटनागर I क्या उत्तर प्रदेश में लगातार प्रथम स्थान पर स्थान बनाने वाले नोएडा पुलिस कमिश्नरेट में निचले अफसरों द्वारा उच्च अधिकारियों तक सही रिपोर्ट न पहुंच पाना आज भी बड़ा प्रश्न बना हुआ है ?  बुधवार को एक बार फिर ऐसे ही एक प्रकरण में सेक्टर 53 में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कमेंट पर युवाओं को के साथ मारपीट और थार गाड़ी चढ़ाने की घटना के मीडिया में सामने आने के बाद नोएडा के पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने थाने स्तर के अधिकारियों द्वारा मामले को छिपाने और कार्यवाही पर हीलाहवाली को लेकर सेक्टर 24 थाना प्रभारी बाबू शुक्ला और गिझोड़ चौकी प्रभारी जगमोहन सिंह को सस्पेंड कर दिया है ।

मीडिया में घटना के वायरल होने के बाद पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारियां के लिए जुटी हुई है । पुलिस के अनुसार घटना के संबंध में थाना सेक्टर-24 प्रभारी निरीक्षक श्यामबाबू शुक्ला द्वारा घटना की जानकारी होने के बाद भी उच्चाधिकारियों से छुपाना तथा घटना से संबंधित आरोपियों की गिरफ्तारी के सार्थक प्रयास न करना और अपने कर्त्तव्यों व दायित्त्वों के प्रति स्वैच्छाचारिता, लापरवाही, अनुशासनहीनता बरतने का कारक है।

हम घटना के कारणों पर चर्चा करें इससे पहले ये प्रश्न महत्वपूर्ण है कि क्या गौतम बुध नगर जिले में पुलिस कमिश्नरेट बनने के 5 साल बाद भी चौकी ओर थाना स्तर पर घटनाओं में पीड़ितों की जगह अपराधियों का साथ देने की परंपरा में परिवर्तन आया है ?

क्या जिले की दूसरी पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह चौकी और थाने स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम करने में नाकाम रही है या फिर कमिश्नरेट बनने के बाद कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के अनेक प्रयासों के बाबजूद स्थानीय स्तर पर पुलिस अधिक निरंकुश हो गई है और अब वो घटनाओं को रोकने में विफल होने के बाद उच्च अधिकारियो तक घटना को ना पहुँचने देने के लिए संकल्पित दिखाई देती है I जिसके लिए घटनाओं के विडियो, ट्वीट को पीडितो या विसिलब्लोअर से सोशल मीडिया से हटवाना आम हो चला है I

बीते 3 वर्षों में सेक्टर 24 थाने को लेकर हुई यह घटना कोई पहली घटना नहीं है और ऐसा भी नहीं है की घटनाओं के बार-बार मीडिया में आने के बाद किसी एसएचओ या चौकी प्रभारी पर कार्यवाही पहली बार हुई हो दरअसल बीते वर्षों में लगातार ऐसे प्रकरण सामने आते रहे हैं जब घटनाओं के मीडिया में आने के बाद उनको एसएचओ या चौकी इंचार्ज पर निलंबन की कार्यवाही करके इति श्री कर ली गई है । किंतु  पुलिस और थानों में व्याप्त निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर कोई सुधार व्यवस्था अभी तक लागू नहीं हो पाई है ।

मामलों को कम दिखाने या उच्च अधिकारियों तक न पहुंचने देने के लिए चौकी और एसएचओ स्तर पर किस तरीके से खबरों को दबाया या छिपाया जा रहा है, ये अक्सर ऐसी घटनाओं के सामने आने से पता चल जाता है । अगर प्रति माह भी जिले में ऐसी एक घटना सामने आती है तो इसका मतलब इससे 10 गुना ज्यादा मामलों में कार्यवाही उच्च अधिकारियों तक पहुंच नहीं पा रहे हो सकते है, जो बेहद चिंता की बात है । इससे आम लोगों से लेकर मीडिया और समाजसेवियों में पुलिस की कार्यशैली के प्रति अविश्वास भी उत्पन्न होता है और प्रदेश सरकार द्वारा कानून व्यवस्था को लेकर किया जा रहे बेहतर कार्यों के बावजूद उनकी मंशा पर प्रश्न खड़े होते हैं ।

कदाचित स्थानीय स्तर पर पुलिसिया कार्यवाही या तौर तरीकों में बदलाव न होने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि कार्यवाही होने की दशा में ऐसे अधिकारी अधिकतम पुलिस लाइन जा पाते हैं या फिर कुछ माह के लिए निलंबित हो जाते हैं I बाद में उन्हें इसी कमिश्नरेट में अन्य थाना या चौकी पर स्थान्तरित कर दिया जाता है, जिसके कारण शहर में हो रहे ऐसे प्रकरणों पर कार्यवाही होने के बावजूद अधिकारी इसे दंड की जगह पुरस्कार मानते है ।

पूरे प्रकरण का एक तथ्य यह भी है कि गौतम बुद्ध नगर में विपक्ष नाम मात्र के लिए है ऐसे में लोगो के साथ अन्याय की घटनाओं को लेकर विपक्ष की भूमिका अक्सर धरातल पर शून्य नजर आती है अन्यथा इस तरह की घटनाओं पर निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों द्वारा छुपाने की घटनाओं पर आक्रोश बड़ा भी हो सकता था । ऐसे में प्रदेश में पहली बार ISO का प्रमाण पत्र हासिल करने वाले गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट में कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को सिस्टम और अन्य सुधारो के साथ-साथ पुलिस या तंत्र में विश्वास जगाने के लिए निचले स्तर के अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही और लोगों से सीधे मिलने के मेकैनिज्म को और दुरुस्त करने की आवश्यकता है।

साथ ही पुलिस कमिश्नर को नोएडा कमिश्नरेट में थानों और चौकियो में सत्ता पक्ष के झंडे लगा कर दलाली करने वाले स्वयंभू नेताओं और पत्रकारों के सिंडिकेट से वाहवाही की जगह अपने ख़ुफ़िया तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है I क्योंकि खुलने वाले लगभग हर घटनाक्रम में अक्सर ऐसे नेताओं की भूमिका भी सामने स्पस्ट दिखाई देती है और इनके ही चलते पुलिस की बदनामी होती है।

गौतम बुध नगर पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस का चेहरा बखूबी संवार रही कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को सिस्टम में घुसे ऐसे अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करने की भी आवश्यकता है । क्योंकि घटनाओं पर त्वरित कार्यवाही, बिल्डिंग, ट्रेनिंग सेंटर, ISO जैसे प्रमाण पत्र हासिल करने के बावजूद अगर आम जनता पुलिस के पास शिकायत लेकर जाने और उसे न्याय न मिलने की चर्चा करती है तो पुलिस कमिश्नर की सद्भावना और जबस्दस्त कार्यशैली के बाबजूद पुरे कमिश्नरेट पर प्रश्नचिंह्न लग जाता है।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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