भाजपा में इन दिनों कई मंडलों के अध्यक्ष बदले गए हैं तो कहीं पर पुराने मंडल अध्यक्ष काम कर रहे हैं जहां पुराने मंडल अध्यक्ष हैं उनके पास पुराने साथी हैं । 4 साल का बना बनाया संगठन है, किंतु जहां नए अध्यक्ष बनाए गए हैं वहां इन दोनों समस्या बड़ी हो गई ऐसे ही शहरी क्षेत्र में बने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख मंडल में स्थिति दिखाई दे रही है।
जानकारी के अनुसार 15 दिन पूर्व बनाए गए नए मंडल अध्यक्ष इन दिनों काफी परेशान है । पुराने मंडल अध्यक्ष के बनाए पदाधिकारी को वह पसंद नहीं आ रहे हैं और स्वयं उन पर भी पुराने पदाधिकारी को हटाने का दबाव है, और उनके मुकाबले में मंडल अध्यक्ष बनने के लिए खड़े लोगों के साथी भी अब साथ देने में आनाकानी कर रहे हैं । ऐसे में चुनाव से महज महिने भर पहले मचे आपसी इस खेल से इन दिनों बिसरख मंडल में हाहाकार मचा हैं ।
पुराने अध्यक्ष के दौर में किनारे रहे लोगों की बड़ी भीड़ इन दिनों नए मंडल अध्यक्ष से बड़ी आशाएं लगाई हुए हैं, किंतु पुराने दौर में कई महीनो तक घर पर कार्यों के बहाने गायब रहे नए मंडल अध्यक्ष के लिए अब संयोजन और लोगों को जोड़ने की समस्या खड़ी हो गई है । यद्धपि जो लोग पद मांग रहे हैं उनका पिछला इतिहास काम ना करने वालों में और जो लोग काम कर रहे थे उनका संगठन में न लेने का दबाव है ।
हालत ये है कि बीते 4 साल में सोसाइटी में बनाए गए कार्यकर्ता भाजपा द्वारा लगातार चलाएं जा रहे कार्यक्रमों से इतने त्रस्त हो चुके हैं कि वह घर से निकलने को तैयार नहीं है । कई कार्य कर्ताओं ने यह भी शिकायतें की है कि विधायक सांसद संगठन के कार्यकर्ताओं को कभी भाव देते नहीं है , ऐसे में राष्ट्रवाद और मोदी योगी के नाम पर कब तक बेगारी की जाए । लोगों को नौकरियां भी करनी है इसलिए तमाम लोग किसी न किसी बहाने से घर बैठने लगे हैं।
ऐसे में बेचारे मंडल अध्यक्ष सोच रहे हैं इससे तो कार्यकर्ता ही बढ़िया था, कहां अध्यक्ष बनाकर फस गया हूं । फिलहाल अध्यक्ष के सलाहकारों ने उन्हें गूगल फॉर्म के जरिए सोसाइटी सोसाइटी नए पन्ना प्रमुख से लेकर मंडल उपाध्यक्ष तक के लोगों को जोड़ने की योजना बताई है । और अब उसे फॉर्म के सहारे ही इन चुनाव में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कार्यकर्ता ढूंढे जा रहे हैं अब यह फॉर्म भर जाएं कुछ कार्यकर्ता आ जाए तो काम चल नहीं तो इन चुनावों में भाजपा को पोलिंग बूथ पर बस्ता लगाने वाले भी मिलने में समस्या हो सकती है।