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अक्षय तृतीया आज, जानिए तिथि निर्णय ,प्रमुख पक्ष एवं पर्व की 21 विशेषताए

शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। पंचांग अनुसार अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 10 मई दिन शुक्रवार को है। मान्‍यता है कि इस दिन सोने चांदी की खरीद करना बहुत ही शुभ होता है। इस दिन खरीदी गई किसी भी वस्‍तु में अनंत वृद्धि होती है।

अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त:-

अक्षय तृतीया 10 मई,शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 मई के दिन सुबह 2 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 10 मई के दिन सुबह 5 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट के बीच है। मान्‍यता है कि अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किए गए हर कार्य में सफलता प्राप्‍त होती है।

शुभ योग:-
अक्षय तृतीया पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन यानी 11 मई को सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक है। इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है, जो दिन भर है। वहीं, अक्षय तृतीया के दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है

कई शुभ संयोगों में मनाई जाएगी अक्षय तृतीया :-

अक्षय तृतीया के दिन शुक्रवार है और साथ ही सुकर्मा योग भी इस दिन रहेगा। सुकर्मा योग का आरंभ दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से होगा और अगले दिन लगभग 10 बजे तक यह योग बना रहेगा। इस योग में खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन रोहिणी नक्षत्र सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा, इस नक्षत्र के स्वामी भौतिक सुखों के दाता शुक्र ग्रह हैं इसलिए रोहिणी नक्षत्र में किसी भी तरह का कार्य शुरू करना आपके लिए शुभ फलदायक रह सकता है। इसके बाद पूरे दिन भर मृगशिरा नक्षत्र रहेगा इस नक्षत्र को भी ज्योतिष में शुभ माना गया है। इसके साथ ही तैतिल और गर करण का निर्माण भी इस दिन होगा। इसलिए अक्षय तृतीया को बेहद खास माना जा रहा है। आइए अब जानते हैं कि इस दिन खरीदारी और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

अक्षय तृतीया पूजा और खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त :-

अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन पूजा के लिए सबसे सही समय सुबह 5 बजकर 33 मिनट से दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। वहीं खरीदारी करने के लिए पूरा दिन ही शुभ माना जाएगा लेकिन सोना-चांदी अगर आप दोपहर 12 बजकर 15 मिनट के बाद खरीदें तो आपके लिए ज्यादा शुभ साबित हो सकता है, क्योंकि दोपहर के बाद सुकर्मा योग शुरू हो जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा से आपके घर में बरकत बनी रहती है और पूरे साल भर धन-धान्य की घर में कमी नहीं होती।

आइए अक्षय तृतीया के महत्व को 21 तथ्यों से जानते है

1 .नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी का जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है। इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं. धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में सम्मलित किया जाता है।.

2 .अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।

3.धरती पर भगवान ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।

4.इस दिन भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर पतितपावनी भागीरथी माँ गंगा अवतरित हुई।

5.कुछ पुराण के अनुसार सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।

6.इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में होते है. यह विशेष संयोग साल में सिर्फ अक्षय तृतीया पर ही बनता है. इस दिन सूर्य मेष में और चन्द्रमा, वृषभ राशि में होते है.

  1. वैशाख मास की विशिष्टता इसमें आने वाली अक्षय तृतीया के कारण अक्षुण्ण हो जाती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।

8.यह समय अपनी योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है।

9.यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शायद यही मुख्य कारण है कि इस काल को ‘दान’ इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

10.‘वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आखातीज के रुप में मनाया जाता है भारतीय जनमानस में यह अक्षय तीज के नाम से प्रसिद्ध है।

11.पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान,दान,जप,स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे’कृतयुगादि’ तिथि भी कहते हैं ।

12.यदि इसी दिन रविवार हो तो वह सर्वाधिक शुभ और पुण्यदायी होने के साथ-साथ अक्षय प्रभाव रखने वाली भी हो जाती है।

13.मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने से विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा संतान भी अक्षय बनी रहती है।

14.दीन दुखियों की सेवा करना, वस्त्रादि का दान करना ओर शुभ कर्म की ओर अग्रसर रहते हुए मन वचन व अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है।

15.कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करके दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चय ही अगले जन्म में समृद्धि, ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है।

16.भविष्य पुराण के एक प्रसंग के अनुसार शाकल नगर रहने वाले एक वणिक नामक धर्मात्मा अक्षय तृतीया के दिन पूर्ण श्रद्धा भाव से स्नान ध्यान व दान कर्म किया करता था जबकि उसकी पत्नी उसको मना करती थी,मृत्यु बाद किए गए दान पुण्य के प्रभाव से वणिक द्वारकानगरी में सर्वसुख सम्पन्न राजा के रुप में अवतरित हुआ।

17.इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सामर्थ्य अनुसार जल,अनाज,गन्ना,दही,सत्तू,फल,सुराही,हाथ से बने पंखे वस्त्रादि का दान करना विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है।

18.इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ और इसी तिथि को द्वापर युग समाप्त हुआ था।

19.ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। इस दिन श्वेत पुष्पों से पूजन कल्याणकारी माना जाता है।

20.दान को वैज्ञानिक तर्कों में ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर देखा जा सकता है। दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए यह दिवस सर्वश्रेष्ठ है। दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है। इस दिन स्वर्ण, भूमि, पंखा, जल, सत्तू, जौ, छाता, वस्त्र कुछ भी दान कर सकते हैं। जौ दान करने से स्वर्ण दान का फल प्राप्त होता है।

21.इस तिथि को चारों धामों में से उल्लेखनीय एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया को ही वृंदावन में श्रीबिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं।

न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।’

वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है।

नारायणनारायण
राघवेंद्ररविश रायगौड़
ज्योतिर्विद

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