उत्तर प्रदेश सरकार ने नववर्ष में एक बार फिर से डा0 ब्रिगे0 राकेश कुमार गुप्ता को 5 वर्ष के लिए ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान का निदेशक नियुक्त कर दिया है। उल्लेखनीय है कि 08 अगस्त 2025 को उनका कार्यकाल समाप्त हुआ था जिसके उपरान्त शासन द्वारा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 सौरभ श्रीवास्तव को कार्यवाहक निदेशक का कार्यभार सौंपा था। नियुक्ति के उपरान्त आज अपरान्ह राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ग्रेटर नोएडा के निदेशक पद का कार्यभार पुनः ग्रहण किया।
डा0 ब्रिगे0 राकेश कुमार गुप्ता ने कार्यभार ग्रहण करते ही अस्पताल का निरीक्षण कर सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने पूर्व में किये कार्यां को आगे बढाने के साथ मरीज देखभाल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए अस्पताल का NABH और NABL प्रमाणीकरण कराये जाने के साथ दिल के मरीजों के लिए पी0पी0पी0 मॉडल पर कैथ लैब स्थापित कराये जाने की बात कही।
संस्थान में ट्रॉमा सेन्टर बनवाये जाने के साथ ही न्यूरोसर्जरी प्रारम्भ कराये जाने का आश्वासन दिया। शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न विशिष्टताओं में फेलोशिप प्रारम्भ किये जाने व सुपर स्पेशियलिटी पाठयक्रम प्रारम्भ कराये जाने पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में चाइना में फैले नये वायरस HNP Virusकी जॉच सुविधा उपलब्ध जिम्स में कराये जाने तथा उसके उपचार हेतु अलग से वार्ड बनाये जाने की सूचना दी।
राजनीति पर भारी पड़े गुप्ता या फिर कर ली घर वापसी
ब्रिगेडियर डॉक्टर राकेश गुप्ता को दोबारा जिम्स का निदेशक बनाए जाने के साथ ही जहां एक और निदेशक विहीन जिम्स को लेकर उठने वाले कई विवादों का अंत हो गया वहीं एक बार फिर से कुछ नए प्रश्न खड़े हो गए हैं । स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से प्रश्न यह है की पांच माह पूर्व उनका सेवा विस्तार न मिलने के पीछे क्या कोई बड़ी राजनीतिक लॉबी काम कर रही थी? क्या सरकार उनके कार्यो से प्रसन्न नहीं थी ? क्या प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के साथ उनका समन्वय नहीं हो पा रहा था ?
या फिर भाजपा के ही एक सांसद के एक निजी अस्पताल में अगले ही दिन ज्वाइन करने वाले ब्रिगेडियर गुप्ता अपनी किसी नई पारी के लिए जिम्स को ना कह गए थे और पांच माह में ही उनका सांसद ओर उनके निजी अस्पताल से मोहभंग हो गया जिसके बाद उन्होंने दोबारा से जिम्स में वापसी कर ली है । प्रश्न स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से यह भी है कि अगर यह सब ब्रिगेडियर गुप्ता को पुन: निदेशक बनाना तय हो चूका था तो फिर दिसंबर के पहले सप्ताह में लिए गए 39 डॉक्टर के इंटरव्यू क्या बस औपचारिकता मात्र थे और खेल का विजेता पहले पहले ही तय हो चुका था ।