ऐसा लगता है, कि वर्षों से निर्माण की रहा देख रही, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोगों की लाइफलाइन और तिलपता चौक के पास पश्चिम की ओर देवल गांव के पास तोशा कंपनी की जमीन के कारण 200 मी रुकी सड़क के अच्छे दिन आने वाले है । और इसका आधार सुप्रीम कोर्ट का एक नया आदेश हो सकता है । यद्यपि सुप्रीम कोर्ट केस नए आदेश का तोशा कंपनी के केस से सीधा कोई मतलब नहीं है किंतु फिलहाल इस आदेश के कारण इस मामले में जनता को सड़क बनाने से रोकने वाले मामले पर फैसला आ सकता है ।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के मामले पर सुनवाई करते हुए कई वर्षों से फैसले को सुरक्षित रखने के बावजूद फैसला ना सुनने की प्रक्रिया को परेशान करने वाली प्रक्रिया करार दिया है और उसके बाद देश के सभी हाई कोर्ट से एक महीने में रिपोर्ट मांगी है जिसमें यह बताना होगा कि 31 जनवरी से पहले कितने मामलों में फैसला सुरक्षित रखे गए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एंड कोटेश्वर सिंह की पीठ ने कहा की हाई कोर्ट से आने वाली रिपोर्ट में आपराधिक अपील दीवानी मामले अलग-अलग बताने होंगे। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट बताना होगा कि यह खंडपीठ का मामला है या एकल जज का पीठ में चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने के लिए आदेश दिए हैं । पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह आवश्यक सूचना और अनुपालन के लिए आदेश की प्रति सभी रजिस्ट्रार जनरल को भेजें।
ऐसे में ग्रेटर नोएडा लाइफ लाइन कही जाने सड़क पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ओर तोशा इंटरनेशनल मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 2015-16 से फैसला रिजर्व रखने के बावजूद आज तक मामला स्टेटस को पर अटके होने वाले इस मामले के सुलझने की राह अब खुल सकती है सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट को इसकी डिटेल सुप्रीम कोर्ट को देनी होगी और बताना होगा कि आखिर इतने वर्षों तक मामला स्टेटस को में क्यों अटका रहा?क्यों वर्षों से फैसला रिजर्व होने के बावजूद उसे सुनाया नहीं गया है

वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर भी यह प्रश्न उठेंगे कि आखिर उसने 2016 से लेकर 2025 तक इस सड़क के मामले को कोर्ट में चैलेंज क्यों नहीं किया । आपको बता दें की राजस्व संहिता के नए कानून के अनुसार सड़क, रेलवे लाइन जैसे जनहित के कार्य के लिए सरकार कंपलसरी एक्विजिशन कर सकती थी किंतु ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 2016 से लेकर 2023 तक इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया ।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अनजाने में ही सही अपेक्षा की जा रही है कि बरसात से पहले इस सड़क पर प्राधिकरण अस्थाई सड़क के निर्माण के कार्य को शुरू कर देगा या फिर कोर्ट में स्टेटस को के निर्णय को चैलेंज करेगा ।